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गन्ने की जगह मीठी चरी से पूरी की जाएगी एथेनॉल की जरूरत

locationकानपुरPublished: Oct 18, 2019 12:27:03 pm

एनएसआई ने खोज निकाली तरकीब, गन्ने के शीरे से दो तिहाई सस्ता होगा
आसानी से मिल सकती है मीठी चरी, उत्पादन से किसानों को होगा फायदा

गन्ने की जगह मीठी चरी से पूरी की जाएगी एथेनॉल की जरूरत

गन्ने की जगह मीठी चरी से पूरी की जाएगी एथेनॉल की जरूरत

कानपुर। देश में एथेनॉल की कमी को पूरा करने का आसान रास्ता राष्ट्रीय शर्करा संस्थान ने खोज निकाला है। एनएसआई में अब मीठी चरी से भी एथेनॉल बनाया जाएगा। एनएसआई की इस तरकीब से देश में जरूरत के मुताबिक सस्ता एथेनॉल आसानी से तैयार किया जा सकेगा। एनएसआई के वैज्ञानिक लगातार एथेनॉल बनाने के विकल्प तलाश रहे थे। इसी क्रम में वैज्ञानिकों ने लैब में करीब एक साल के शोध के बाद मीठी चरी से एथेनॉल बनाने का तरीका खोज लिया। वैज्ञानिकों के मुताबिक एक टन मीठी चरी से करीब 45 से 50 लीटर एथेनॉल तैयार होगा जबकि एक टन गन्ने के शीरे से करीब 60 से 65 लीटर एथेनॉल बनता है।
क्या है एथेनॉल का उपयोग
देश में पेट्रोल में 10 प्रतिशत एथेनॉल मिलाने को अनिवार्य किया गया है लेकिन पर्याप्त मात्रा में एथनॉल की मौजूदगी नहीं होने से यह 4 प्रतिशत पर सिमट कर रह गया है। गन्ने और शीरे से निकलने वाला एथेनॉल पूरा नहीं पड़ता है। देश में अभी भी पेट्रोल में मिलाने के लिए छह प्रतिशत ज्यादा एथेनॉल की जरूरत है। जिससे पेट्रोल की कीमतों पर नियंत्रण रखा जा सके। दरअसल पेट्रोल में १० प्रतिशत एथेनॉल मिलाने पर भी इसकी क्षमता पर कोई फर्क नहीं पड़ता है।
मीठी चरी से मिलेगा सस्ता एथेनॉल
एथेनॉल अब मीठी चरी से भी बनेगा। राष्ट्रीय शर्करा संस्थान (एनएसआई) के वैज्ञानिकों ने लंबे शोध के बाद मीठी चरी से एथेनॉल बनाने की तरकीब खोज ली है। गन्ने के शीरे (मालोसिस) से बनने वाले एथेनॉल से यह दो तिहाई सस्ता होगा। इससे देश में जरूरत का और सबसे सस्ता एथेनॉल खुद तैयार कर लेंगे। अच्छी बात यह है कि इस मीठी चरी की खेती पूरे देश में की जा सकती है ताकि एथेनॉल अधिक मात्रा तैयार किया जा सके। इससे किसानों की आमदनी भी बढ़ जाएगी।
पांच प्रजाति पर चल रही है रिसर्च
एनएसआई के वैज्ञानिक वर्तमान में मीठी चरी की पांच प्रजाति पर रिसर्च कर रहे हैं। मीठी चरी से एथेनॉल बनाने का शोध पूरा हो गया है। अब वैज्ञानिक देख रहे हैं कि किस प्रजाति से अधिक मात्रा में एथेनॉल बनाया जा सकता है। वर्तमान में देश की विभिन्न चीनी मिले, संस्थान मुख्य रूप से तीन तरीके से एथेनॉल बना रहे हैं। सबसे अधिक एथेनॉल शीरे (मोलासिस) से बन रहा है। वर्तमान में अगर अधिक से अधिक उत्पादन हो तो शीरे से करीब 175 से 200 करोड़ लीटर एथेनॉल बन सकती है। वहीं मक्का और न खाने योग्य चावल से भी एथेनॉल का निर्माण किया जाता है। हालांकि यह मात्रा बहुत कम है। बमुश्किल 15 से 20 करोड़ लीटर एथेनॉल बनता है।
३३० करोड़ एथेनॉल की जरूरत
मीठी चरी से बनाए गए एथेनॉल से काफी मात्रा में जरूरत को पूरा किया जा सकेगा। देश को इस समय 330 करोड़ लीटर एथेनॉल की जरूरत है। जबकि वर्तमान में विभिन्न संस्थान, चीनी मिलें मिलकर अगर अधिक से अधिक उत्पादन करें तो यह मात्रा करीब दो सौ से सवा दो सौ करोड़ लीटर एथेनॉल तक पहुंचेगी। इस कमी को पूरा करने के लिए ये विकल्प तलाशे जा रहे हैं।

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