कानपुर में मेट्रो आईआईटी से फूलबाग होते हुए नौबस्ता और सीएसए से बर्रा तक दौडऩी है. पर सबसे पहले कानपुर मेट्रो आईआईटी से मोतीझील के बीच दौड़ेगी. करीब 8.5 किलोमीटर लंबा यह पूरा मेट्रो रूट एलीवेटेड होगा. इस प्रॉयोरिटी सेक्शन में 9 मेट्रो स्टेशन बनेंगे. इसके लिए लखनऊ मेट्रो रेल कार्पोरेशन ने फरवरी में ग्लोबल टेंडर कॉल किए थे. इसकी टेक्निकल बिड काफी पहले ही खुल गई थी.
टेक्निकल बिड खुलने के बाद टाटा प्रोजेक्ट लिमिटेड और ग्वांगडांग यूआन्ति (टीपीएल-जीवाईटी) ज्वाइंट वेंचर और एफकान्स इंफ्रास्ट्रक्चर मैदान में रह गई है, लेकिन सेंट्रल गवर्नमेंट से कानपुर मेट्रो प्रोजेक्ट को अप्रूवल न मिलने के कारण एलएमआरसी ने फाइनेंशियल बिड नहीं खोली. इधर सेंट्रल गवर्नमेंट में कानपुर मेट्रो प्रोजेक्ट को फाइनेंस मिनिस्ट्री से एनओसी मिल जाने के बाद पिछले दिनों फाइनेंशियल टेंडर भी खोल दिया गया है. लखनऊ मेट्रो रेल कार्पोरेशन के ऑफिसर्स के मुताबिक दोनों कम्पनियों की बिड का इवैल्यूएशन किया जा रहा है. फिलहाल लोएस्ट रेट के मामले में टीपीएल व जीवाईटी ज्वाइंट वेंचर आगे है. इससे इसी ज्वाइंट वेंचर को टेंडर हासिल होने की उम्मीद की जा रही है.
हालांकि लखनऊ मेट्रो रेल कार्पोरेशन के ऑफिसर कुमार केशव का कहना है कि सेंट्रल गवर्नमेंट से कानपुर मेट्रो प्रोजेक्ट को अप्रूवल मिलने के बाद ही टेंडर अवार्ड किया जाएगा. कुल मिलाकर फाइनेंशियल बिड खुलने और इवैल्यूएशन शुरू होने से ये उम्मीद लगाई जा रही है कि अगले महीने कानपुर मेट्रो प्रोजेक्ट को सेंट्रल गवर्नमेंट से अप्रूवल मिल सकता है.
गौरतलब है कि करीब दो साल पहले कानपुर मेट्रो प्रोजेक्ट वर्क का भूमि पूजन हो चुका है. इस कार्यक्रम में तत्कालीन केन्द्रीय शहरी विकास मंत्री (अब उपराष्ट्रपति) के.वेंकैया नायडू व तत्कालीन यूपी सीएम अखिलेश यादव शामिल हुए थे. भूमिपूजन के साथ पॉलीटेक्निक में मेट्रो यार्ड बनना भी शुरू हो गया था. पर सेंट्रल गवर्नमेंट के नई पॉलिसी लागू किए जाने से यह प्रोजेक्ट लटक कर रह गया है.