टैक्स की पुरानी व्यवस्था में पान मसाला पैक करने वाली मशीनों पर एक निश्चित राशि अदा करनी पड़ती थी। जिस कारण छोटे-छोटे पान मसाला कारोबारी ज्यादा दिन तक बाजार में टिक नहीं सके और उन्हें व्यापार बंद करना पड़ा, क्योंकि बिक्री से जो आय होती थी, उसमें टैक्स चुका पाना मुश्किल हो रहा था, लिहाजा कारोबार बंद कर दिया गया। इस तरह शहर के करीब एक सैकड़ा पान मसाला कारोबारी ठंडे हो गए। केवल बड़े ब्रांड ही टिक पाए जिनकी बिक्री शहर में जबरदस्त थी।
जीएसटी लागू होने के बाद पान मसाला पाउचों की बिक्री के आधार पर टैक्स लिया जाने लगा। जिससे छोटे कारोबारियों को टैक्स चोरी का मौका मिल गया। अब आधी बिक्री दिखाकर टैक्स चोरी किया जा रहा है, जिसका नतीजा यह है कि पहले जो राजस्व ५० करोड़ था, वह अब २० से २५ करोड़ ही बचा है। इनमें छोटे-छोटे कारोबारी टैक्स चोरी में आगे हैं। कहीं पर भी घर में छोटी सी मशीन लगाकर पैकिंग कर कारोबार चला रहे हैं। विभाग को नहीं पता कि इनकी बिक्री कितनी है, जितना बताया जाता है मान लेते हैं।
जीएसटी लागू होने के बाद पान मसाला कारोबारियों को फायदा दिखा। जीएसटी के तहत यह व्यवस्था इसलिए थी कि छोटे कारोबारियों को नुकसान न हो और बिक्री के हिसाब से ही टैक्स देना पड़े, पर कारोबारियों के हाथ टैक्स चोरी का मौका आ गया। अब केवल ४० फीसदी उत्पादन ही शो किया जा रहा है और जमकर टैक्स चोरी की जा रही है।