scriptऑफ सीजन में भी अब सस्ती और भरपूर मिलेगी ये हरी सब्जियां | Technique for production of green coriander and capsicum | Patrika News

ऑफ सीजन में भी अब सस्ती और भरपूर मिलेगी ये हरी सब्जियां

locationकानपुरPublished: Feb 18, 2020 12:49:27 pm

बारिश के सीजन में हरी धनिया-शिमला मिर्च की नहीं होगी कमीकम समय की इन फसलों के आसान उत्पादन का नया तरीका

ऑफ सीजन में भी अब सस्ती और भरपूर मिलेगी ये हरी सब्जियां

ऑफ सीजन में भी अब सस्ती और भरपूर मिलेगी ये हरी सब्जियां

कानपुर। कभी सब्जी के साथ फ्री में मिलने वाली हरी धनिया आज खुद ही सब्जी की तरह अलग दाम पर बिक रही है। जबकि बारिश के सीजन में हरी धनिया की स्थिति यह हो जाती है कि पांच रुपए में इतनी धनिया भी नहीं मिलती कि चार से पांच लोगों के लिए बनने वाली सब्जी के लिए पर्याप्त हो सके। यही हाल शिमला मिर्च का हो जाता है। तीस से चालीस रुपए किलो वाली शिमला मिर्च के दाम भी ६० रुपए प्रतिकिलो के पार हो जाते हैं। इसे देखते हुए चंद्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के वैज्ञानिकों ने ऑफ सीजन में भी हरी धनिया और शिमला मिर्च के उत्पादन का तरीका निकाला है। इससे किसान ज्यादा उत्पादन पाकर लाभ कमा सकते हैं।
उत्पादन की बेहतर तकनीक
सीएसए के वैज्ञानिकों ने जो नई टेक्निक तैयार की है उसके तहत बीजों का डेढ़ गुना अधिक प्रयोग और बायोफर्टिलाइजर का इस्तेमाल है। इसके साथ-साथ ही खेतों का चयन और खेतों की मिट्टी को निमेटोड और अन्य बीमारियों से रहत बनाना है ताकि फसल में कीड़े नहीं लग सकें। इससे ज्यादा उत्पादन होगा और किसानों के साथ-साथ लोगों को भी इसका लाभ मिल सकेगा।
सस्ती मिलेगी सब्जी
सीएसए के प्रयासों से इस बार बारिश के मौसम में भी हरी धनिया व शिमला मिर्च खूब सस्ती मिलेगी।चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि के वैज्ञानिकों ने ऐसी तकनीक विकसित की है जिससे बारिश में भी धनिया की बुआई हो सकेगी। इसके लिए विवि के वैज्ञानिक किसानों को जोड़ रहे हैं। सब्जी विज्ञान विभाग के वैज्ञानिकों के मुताबिक ऑफ सीजन में धनिया किसानों को बड़ा फायदा देती है। कन्नौज में कुछ किसान इसका प्रयोग कर रहे हैं और जो धनिया उनके खेत से 40-50 रुपए किलोग्राम बिकता था वह 100-125 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से खेतों में ही बिक जाता है।
कम समय की फसल
विभाग के वैज्ञानिक डॉ. राजीव का कहना है कि शिमला मिर्च और हरी धनिया कम समय की फसल है। यह किसानों को दोगुना से अधिक फायदा दे सकती है। ज्यादा किसान इसे ऑफ सीजन में बोएंगे तो लोगों को सस्ती मिलेगी। डॉ. राजीव के मुताबिक फिरोजाबाद और कन्नौज में कुछ किसानों के समूह है जो बेहतर काम कर रहे हैं। फिरोजाबाद के किसान शिमला मिर्च सीधे दिल्ली की मंडी में ले जाते हैं। उसी तर्ज पर यहां भी समूह बना रहे हैं ताकि कानपुर और लखनऊ की मंडियो में उन्हें लाभ दिलाया जा सके।
सीएसए को मिली बड़ी जिम्मेदारी
जलवायु परिर्वतन को लेकर नई वेराइटी कम समय में विकसित हो इसके लिए चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विवि को उत्तर भारत में सब्जियों पर हो रहे रिसर्च और अभी तक जारी प्रजातियों की गुणवत्ता परखने की जिम्मेदारी मिली है। चार और पांच मार्च को उत्तर भारत के लगभग 25 सब्जी रिसर्च सेंटरों के वैज्ञानिक सीएसए में जुटेंगे वह अपने रिसर्च और अनुसंधान का ब्योरा पेश करेंगे। सब्जी विज्ञान विभाग के वैज्ञानिक डॉ. राजीव के मुताबिक पहली बार सीएसए को यह जिम्मेदारी दी गई। सभी सेंटर के प्रतिनिधि इसमें भाग लेंगे।
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