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जैसे ही बेटे के शहीद होने की खबर घर आई, मच गई चीख पुकार, रुंधे गले से पिता बोले पाकिस्तान से बदला चाहिए

locationकानपुरPublished: Feb 16, 2019 11:57:40 am

Submitted by:

Arvind Kumar Verma

देश की रक्षा के लिए हमारा बेटा आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गया। उसने भारत माता का कर्ज अदा कर दिया। आंखो से छलक आये आंसू फिर वृद्ध पिता कुछ न बोल सके।

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जैसे ही बेटे के शहीद होने की खबर घर आई, मच गई चीख पुकार, रुंधे गले से पिता बोले पाकिस्तान से बदला चाहिए

कानपुर देहात-पूरे देश में जहां इस आतंकी हमले से मातम छाया हुआ है, वहीं लोगों में ज्वाला भड़क रही है। घरों में महिलाएं बच्चे भी आतंक खात्मे के लिए दहाड़ उठे हैं। भारत माता की छाती पर जो लहू बहा है, लोग उसकी क्षतिपूर्ति चाह रहे हैं। ऐसा ही कुछ मार्मिक नजारा जिले के रैगवां गांव का है, जहां जम्मू कश्मीर के पुलवामा में आतंकी हमले से लड़ते हुए कानपुर देहात का जवान श्यामबाबू शहीद हो गया। वहीं गांव में शहीद के घर के बाहर लोगों का तांता लगा हुआ है और घर में चीख-पुकार मची हुई है। हालांकि घर के परिजन देश के लिए शहीद हुए जवान पर गर्व और फक्र महसूस कर रहे हैं, लेकिन वहीं पिता का एक पुत्र और उस पत्नी का पति एवं वृद्ध मां के दुलारे श्यामबाबू की शहादत पर घर में शोक का माहौल बना हुआ है, पूरा गांव शोकाकुल है।
गमगीन पिता बोले फक्र है बेटे पर

जनपद कानपुर देहात की तहसील डेरापुर के गांव रैगांव का रहने वाला शहीद जवान श्याम बाबू आतंकियों से लड़ते हुए देश के लिए शहीद हो गया, शहीद की शहादत की खबर मिलते ही परिवार में कोहराम मच गया। घर मे महिलाओं की चीत्कार सुन श्यामबाबू के घर के बाहर क्षेत्रीय लोगों का तांता लग गया। किसी के भाई, किसी का दोस्त तो किसी के बेटे भतीजे के आतंकी हमले में शहीद होने की बात जैसे ही सामने आई, मानो ग्रामीणों में उबाल आ गया। वहीं शहीद के परिजनों ने देश के लिए शहीद हुए जवान श्यामबाबू पर फक्र जताते हुए बताया कि एक बेटे के जाने का दुख तो एक पिता ही समझ सकता है, लेकिन फक्र है कि देश की रक्षा के लिए हमारा बेटा आतंकियों से लड़ते हुए शहीद हो गया। उसने भारत माता का कर्ज अदा कर दिया। इसके बाद वृद्ध पिता कुछ न बोल सके।
नौकरी से चलता था घर परिवार

वहीं 115 बटालियन सीआरपीएफ में तैनात 31 वर्षीय श्यामबाबू 12 वर्षों से देश की सेवा कर रहे थे। शहीद श्यामबाबू गरीब परिवार से था, जिसकी नौकरी के वेतन से घर का गुजारा होता था। शहीद श्यामबाबू ने अपनी नौकरी के दम पर अपनी दो बहनों की शादियां बड़ी धूमधाम से की थी और उसके बाद वर्ष 2013 में खुद की शादी सचेंडी की रूबी देवी से की थी। वहीं शहीद श्यामबाबू का 5 वर्षीय पुत्र आयुष उर्फ लकी व 5 माह की बेटी आरुषि हैं। किसान रामप्रसाद के दो बेटे में से शहीद श्यामबाबू बड़ा बेटा था और छोटा बेटा कमलेश प्राइवेट नौकरी कर घर चलाने में अपने बड़े भाई का सहयोग करता था।
जैसे ही खबर आई फिर….

बताया गया कि घर बनवाने के लिए शहीद श्यामबाबू 1 फरवरी को घर पर छुट्टी लेकर आया हुआ था। इसके बाद 10 फरवरी को पुनः ड्यूटी पर पहुंचा था। वहीं श्याम बाबू के परिजनों ने बताया की 14 फरवरी को दोपहर करीब 10 बजे शहीद श्याम बाबू ने फोन करके अपनी बेटी की तबीयत के बारे में उसका हाल पूछा था, लेकिन करीब शाम 6 बजे बेटे की शहादत की खबर आने पर घर में चीख-पुकार और कोहराम मच गया। वहीं रोते बिलखते शहीद के परिजनों के मुख से सिर्फ पाकिस्तान से बदला लेने की बात निकलती रही।
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