एटीएस को पूछताछ में पता चला है कि आतंक के इस खेल में हलमंडी के परिवार के अन्य सदस्य भी शामिल हैं। इनमें उसका बहनोई सबसे प्रमुख है, जो कि प्लाईवुड का बड़ा कारोबारी है। कारोबार के सिलसिले में उसका कानपुर आना-जाना लंबे समय से है और इसी की ओट लेकर उसने शहर में आतंकवाद समर्थित लोगों की भीड़ तैयार की। चूंकि वह खुद आर्थिक मजबूत है, इसलिए उसने शहर में कई पैसे वाले लोगों को धर्म के नाम पर आतंकवाद का समर्थन देने के लिए तैयार किया। वह केवल आतंकियों को आर्थिक सहयोग देकर मदद करते हैं।
एटीएस सूत्रों के मुताबिक हलमंडी के बहनोई का मोबाइल अलकायदा आतंकियों की गिरफ्तारी के बाद से बंद है और उसका कोई अतापता नहीं है। हालांकि 15 दिन पहले भी उसके कानपुर आने के प्रमाण एटीएस को मिले हैं। एटीएस ने उन लोगों से पूछताछ की है, जिससे वह प्लाईवुड खरीद-फरोख्त का काम करता था। हालांकि पूछताछ के बाद उन सभी को छोड़ दिया गया।