तीन छात्रों ने तैयार किया हेलमेट
कानपुर में हर माह सड़क हादसे में करीब दो सौ से ज्यादा लोगों की जान चली जाती है तो वहीं सैकड़ों लोग घायल हो जाते हैं। दुर्घटनाओं को रोकने के लिए सरकार व प्रशासन आएदिन नए-नए आदेश देता रहता है, पर वाहन चालक उन्हें फालो नहीं करते। इसी के बाद डीबीएस के तीन छात्रों ने एक ऐसा हेममेट बनाया है, जिसे बिना पहले बाइक स्टार्ट नहीं होगी। साथ ही यदि चालक शराब का सेवन किया होगा तो ज्यों कि त्यों खड़ी रहेगी। स्मार्ट हेलमेट बनाने वाले रिषभ विश्वकर्मा ने बताया कि इसे बनाने में हमें पूरे एक साल लग गए। रिषम ने बताया कि इस शोध कार्य के अंतर्गत उन्होंने हेलमेट के अंदर ऐसे टैब व सेंसर लगाए हैं जो ट्रांसमीटर के जरिए इग्नीशन को संदेश भेजने का काम करते हैं। बाइक को माइक्रो कंट्रोलर से जोड़ा गया है जो वाहन चालक के हेलमेट लगाने पर काम करना शुरू कर देता है।
इसलिए बीणा उठाया
रिषभ विश्वकर्मा ने बताया कि करीब डेढ़ साल पहले हम घर से स्कूल जी रहे थे। इसी दौरान बाइक सवार दो युवकों की टक्कर बुलेरो कार से हो गई। दोनों सड़क पर गिर गए और मौके पर ही मौत हो गई। दूसरे दिन अखबार में पढ़ा कि यदि वो हेलमेट लगाए होते तो उनकी जान बचा सकती थी। इसी के बाद मैने अपने दो मित्रों के साथ स्मार्ट हेलमेट बनाने का बीणा उठाया। पूरे एक साल तक इस पर काम किया और जब तैयार हो गया तो आईआईटी के टेककृति में इसे शामिल कराया। जहां हमारी की इस खोज को आईआईटी के साइंटिस्टों ने सराहा। आईआईटी ी टेककृति में स्मार्ट हेलमेट ने देशभर से आए छात्र-छात्राओं के अनुसंधानों को पीछे छोड़ते हुए टॉप थ्री में अपनी जगह बनाई। छात्र ने बताया कि जल्द ही हेलमेट बाजार में ग्राहकों के लिए उपलब्ध होगा।
…तो नहीं स्टार्ट होगी बाइक
रिषभ विश्वकर्मा ने बताया कि यह स्मार्ट हेलमेट शराब पीकर बाइक चलाने वालों को भी रोकेगा। हेलमेट में एल्कोहल सेंसर लगा है जो 250 से 300 यूनिट एल्कोहल से ऊपर सेवन करने पर बाइक को स्टार्ट होने से रोक देता है। इसके अलावा इसमें एक एक्सीडेंट केयर मॉड्यूल भी लगाया गया है जो दुर्घटना के दौरान परिजन, पुलिस व एंबुलेंस को संदेश भेजता है। इस मॉड्यूल में एक्सलरो मीटर सेंसर लगा है जो ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम फॉर मोबाइल कम्युनिकेशन (जीपीएस) सिस्टम के तहत काम करता है। बाइक मॉड्यूल में मोबाइल नंबर फीड किए जाते हैं जिन पर दुर्घटना होने की सूरत में संदेश जाता है। रिषम के मुताबिक इस खोज को पेटेंट करने के लिए दस्तावेज तैयार कर लिए गए हैं। आईआईटी से इसका पेटेंट कराएंगे। इसकी स्वीकृति मिल गई है।
पांच हजार में तैयार हुआ हेलमेट
रिषभ विश्वकर्मा ने बताया कि स्मार्ट हेलमेट बनाने में पांच हजार रुपये का खर्च आया है, क्योंकि मॉड्यूल, सिम व प्रोग्रामिंग के लिए तीन से चार माइक्रो कंट्रोलर खरीदे गए। अब इंटीग्रेटेड सिम आने लगा है, वहीं मॉडीफाई करके एक माइक्रो कंट्रोलर में इसे बनाया जा सकता है। उपभोक्ता के हाथ तक पहुंचने में इसका खर्च ढाई हजार रुपये आएगा जो कि एक सामान्य अच्छी गुणवत्ता के हेलमेट का होता है। रिषभ विश्वकर्मा के मुताबिक हमारी बातचीत हेलमेट बनाने वाली कंपनियों स ेचल रही है। जल्द ही एक अच्छी कंपनी से करार हो जाएगा और वो ही स्मार्ट हेलमेट बनाएगी और ग्राहकों को बाजार में उपलब्ध कराएगी।