उन्होंने कहा कि हमें खुद सबसे पहले इस गंभीर संकट से उबरने के प्रयास करने होंगे। कम से कम जल का उपयोग करें, जल को व्यर्थ में न बर्बाद करें, वर्षा जल का भंडारण करें। खेतों में अधिक से अधिक वर्षा जल रुक सके, इसके उपाय करें, खेतों में चौंडी मेड बनाये, घरों में शोखते का निर्माण कैसे करें। बताया कि आने वाली पीढ़ी के लिए हम कुछ ऐसा कर जाएं, जिससे उनका जीवन आसान बने। अपने जीवन मे कम से कम 10 पेड़ लगाएं तथा जल सरंक्षण हेतु हर सम्भव मदद का भरोसा दिलाया। इसके अलावा शीघ्र ही मनरेगा योजना के तहत तालाबों की सफाई व खुदाई कर जल भंडारण करवाने को कहा।
समिति के महासचिव डॉ धीरेंद्र सचान ने बताया कि जुलाई 2019 को मनरेगा के तहत एक लाख बाईस हजार 6 सौ पचास रुपये फंड पास हुआ था, जो कि आज तक कार्य के लिए निर्गत नही किया गया है। सहायक ग्राम विकास अधिकारी/ग्राम पंचायत अधिकारी ने कार्य कराने से मना कर दिया है। अधिकारियों के रवैये से तंग आकर नेकद्वार सेवा समिति ने स्वयं तालाब की खुदाई व सफाई का बीड़ा उठाते हुए ग्रामीणों की मदद से आज ये कार्य प्रारंभ कर दिया। जिसमें समिति के सदस्यों के साथ 50 से अधिक ग्रामीणों ने हिस्सा लिया। बतााया कि जिला विकास अधिकारी जोगिंदर सिंह ने मनरेगा के तहत गाँव के तालाबों को साफ करवाने का आदेश दिया है। तालाब संरक्षण और तालाब मे गंदगी न डाली जाये इसके लिए घर घर जाकर नेक द्वार सेवा समिति के सदस्य ग्रामवासियो तालाब के साफ सुथरा रखने के लिए पत्रक भी बाटे जायेंगे। इस बीच जल मार्च’ निकाला गया।