इस शिव मंदिर के भक्तों की नहीं होती अकाल मृत्यु, जानिए 500 वर्ष प्राचीन शिवलिंग की है अनोखी दास्तां
इस शिवलिंग की स्थापना के पीछे की वजह जानकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे।

कानपुर देहात-जनपद के कई शिव मंदिरों में सावन मास में भक्तों का सैलाब उमड़ता है। देखा जाए तो मंदिरों का भी अपना अलग अलग इतिहास है। उनकी स्थापना के पीछे भी प्राचीन कहानी है। शायद इन्हीं वजह से कुछ मंदिरों की ख्याति दूर दूर तक फैली है, जहां लोग मत्था टेकने आते हैं और मनौती पूरी करते हैं। उनकी कई मान्यताएं हैं। कानपुर देहात का ऐसा ही भगवान शिव का महाकालेश्वर मंदिर है, जिसकी अनोखी कहानी है। यह मंदिर 500 वर्ष पुराना बताया जाता है। वहीं कुछ लोगों का कहना है कि इसकी सटीक जानकारी किसी को नहीं है, लेकिन इस शिवलिंग की स्थापना के पीछे की वजह जानकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे।
कानपुर देहात के रसूलाबाद क्षेत्र के ग्राम भीखदेव कहिंजरी में स्थित 500 वर्ष पुराना श्री महाकालेश्वर सिद्ध आश्रम आस्था एवं विश्वास का प्रतीक माना जाता है। जहां सैकड़ों भक्त प्रतिदिन पूजा अर्चना और मन्नत मांगने आते हैं। मगर सावन माह में इस स्थल का महत्व ही कुछ अलग है। मंदिर के महंत ने बताया कि लगभग 500 वर्ष पूर्व औझान के राजा गंगा सिंह गौर के सिपाहियों द्वारा बाणेश्वर शिव मंदिर बनीपारा से बैलगाड़ी से शिवलिंग को लाया जा रहा था। भीखदेव कहिंजरी पहुंचने के बाद बैलगाड़ी का पहिया बालू की रेत में धंस गया। सैनिकों के काफी प्रयास के बावजूद पहिया नहीं निकल सका और निकालने के प्रयास में पहिया टूट गया।
राजा को सूचना मिलते ही राजा और सैनिकों के साथ पहुंचे लेकिन फिर भी शिवलिंग नहीं आगे नहीं जा सका। बताया गया कि उसके बाद उस शिवलिंग की वहीं विधि विधान से स्थापना करा दी गई। तब से वह शिवलिंग आज भी वहां स्थापित है। करीब 30 से 35 वर्ष पहले ग्राम प्रधान बाबू मिश्रा ने क्षेत्र की जनता के सहयोग से महाकालेश्वर मंदिर का निर्माण कार्य करवाया था। आज वही शिव मंदिर श्री महाकालेश्वर शिव मंदिर के नाम से विख्यात है। कहते हैं इस मंदिर में सभी मुरादें पूरी होती है। लोगों का कहना है कि इस सिद्ध आश्रम से सच्चे मन से जुड़े हुए भक्तों को कभी भी अकाल मृत्यु नहीं आ सकती है। कई बार मंदिर में चमत्कार भी देखे गए हैं।
मंदिर के महंत नरेश कुमार दीक्षित ने बताया कि श्री महाकालेश्वर आश्रम में जो भक्त सच्चे मन से मन्नत मांगता है उसकी मन्नत अवश्य पूरी होती है। यहां पर आने वाले लोग चाहे जितने समस्या से ग्रसित हो, लेकिन आश्रम आने के बाद सब दुख दर्द भूल जाते हैं और भोले बाबा की भक्ति में रम जाते हैं। उनकी समस्याओं का निदान भी हो जाता है।
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