scriptदिल और दिमाग पर भी डेंगू का असर, ब्रेन स्ट्रोक और हार्टअटैक का खतरा | The effect of dengue is also visible on the heart and mind | Patrika News

दिल और दिमाग पर भी डेंगू का असर, ब्रेन स्ट्रोक और हार्टअटैक का खतरा

locationकानपुरPublished: Oct 23, 2019 02:24:29 pm

हैलट में आधा दर्जन मरीजों पर दिखने लगा असर

दिल और दिमाग पर भी डेंगू का असर, ब्रेन स्ट्रोक और हार्टअटैक का खतरा

दिल और दिमाग पर भी डेंगू का असर, ब्रेन स्ट्रोक और हार्टअटैक का खतरा

कानपुर। लिवर और किडनी के बाद अब डेंगू हार्ट पर भी हमला कर रहा है। हार्ट की मांसपेशियां कड़ी होने से हार्टअटैक का खतरा बढ़ रहा है। डेंगू और हार्ट अटैक के साथ एक 25 वर्षीय युवक को हैलट आईसीयू में भर्ती कराया गया है। इसके अलावा चार मरीजों के ब्रेन पर भी डेंगू के चलते असर हुआ है। उनमें ब्रेन स्ट्रोक जैसे लक्षण मिले हैं। इन सभी को न्यूरोलॉजी वार्ड में शिफ्ट किया गया है।
डेंगू का बदला रूप ज्यादा खतरनाक
डॉक्टरों के मुताबिक डेंगू का यह बदला रूप और ज्यादा जानलेवा है। पहले डेंगू के मरीजों के लिवर और किडनी पर इसका असर दिख रहा था। अब हार्ट पर असर काफी गम्भीर बात है। इससे इलाज का पूरा प्रबंधन बदल जाता है। इसके साथ ही डॉक्टरों के अनुसार, डेंगू के मरीजों का ब्लड प्रेशर लो हो रहा है। कुछ डेंगू पीडि़तों की पल्स रेट 40 तक पहुंच गई। हैलट अस्पताल के मेडिसिन विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. एसके गौतम के मुताबिक उन्होंने दो मरीजों को देखा है जिन्हें डेंगू के साथ हार्ट की भी दिक्कत है। इनमें एक युवक तो आईसीयू में भर्ती है। उसकी हार्ट की पूरी जांच करवाने के बाद डेंगू की जांच कराई गई तो वायरस पॉजिटिव मिला।
डेंगू पर डॉक्टरों ने दी राय
डॉ. दिवाकर तिवारी के मुताबिक बच्चे, बूढ़े और गर्भवती महिलाएं, इन्हें बचाव की दवा देनी चाहिए। सस्ती दवा उपलब्ध है। अगर डेंगू रिपोर्ट पॉजिटिव भी है तो दो दिनों के इलाज में बीमारी बढ़ेगी नहीं। दूसरी ओर डॉ. हेमंत मोहन ने बताया कि होम्योपैथिक में जांच रिपोर्ट की कोई जरूरत नहीं है। कराएं या नहीं कराएं। लक्षणों के आधार पर इलाज किया जाता है। इलाज भी मरीजों की स्थिति को देख दिया जाता है। डॉ. आरके वशिष्ठ बताते हैं कि लक्षण के आधार पर दवा दी गई। अहम बात यह है कि डेंगू के इलाज को जो दवाएं दी जाती हैं मरीज की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। मरीज गम्भीर नहीं हो पाते। डॉ. आनंद त्रिवेदी की मानें तो शुरुआत में ही मरीज को तीन दिन की दवा दी जाती है। 72 घंटे में बीमारी कंट्रोल हो जाती है। अधिकतम पांच से सात दिन दवाओं की खुराक चलती है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो