भले ही बसपा मुखिया मायावती और सपाध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी में महागठबंधन के लिए आपसी शिकवे भुलाकर एकदूसरे का साथ देने का ऐलान किया हो, पर दोनों दलों के कार्यकर्ता एक दूसरे को हजम नहीं कर पा रहे हैं। महानगर सीट सपा के हिस्से में आयी है तो सपा प्रत्याशी के नेतृत्व में आयोजित पहले संयुक्त सम्मेलन में बसपाई गिने चुने ही थे। बसपाइयों की कम संख्या पर सपाई नाराज दिखे।
सम्मेलन के दौरान सपा कार्यकर्ता बसपाइयों से नाराज दिखे। बीच-बीच में खुसफुस भी होती रही। सपाई बार-बार यही कहते रहे कि अपना प्रत्याशी होता तो सारे बसपाई आते। प्रत्याशी सपा का है इसलिए सहयोग नहीं कर रहे हैं। सम्मेलन में बसपाइयों की संख्या दो दर्जन तक ही थी, जबकि सपाइयों की संख्या ८० से ज्यादा थी। ऐसे में बात उठना तो जाहिर था।
सपा कार्यकताओं के बीच चल रही बात पर बसपाइयों के कान खड़े हो गए। संबोधन के दौरान इस बात को दबाने के लिए मौजूद बसपा नेताओं ने दोनो दलों के बीच एकता का दावा किया और कहा कि सभी कार्यकर्ता एकजुटता से गठबंधन प्रत्याशी को जिताने के लिए काम करेंगे।
हालांकि पूरे कार्यक्रम में सपाई ही हावी रहे पर सपा प्रत्याशी रामकुमार निषाद ने स्थिति को संभालने का प्रयास किया और बसपा की तारीफ करते हुए बोले विधानसभा चुनाव में बसपा अच्छा प्रदर्शन करती आयी है। इसलिए अगर सही रणनीति बनाकर काम किया जाएगा तो जीत मिलना तय है।