कानपुर

अपना मकान होते हुए भी कागजों में बन बैठे किराएदार

इनकम टैक्स में छूट हासिल करने का सबसे आसान तरीका फर्जी किराएदार बनने वालों पर शिकंजा कसेगा आयकर विभाग

कानपुरJul 19, 2019 / 11:42 am

आलोक पाण्डेय

अपना मकान होते हुए भी कागजों में बन बैठे किराएदार

कानपुर। आयकर रिटर्न दाखिल करने वाले शहर के ३५ फीसदी लोग किराएदार हैं, ऐसे किराएदार जिनके पास अपना मकान है और वे उसी में रहते हैं पर बिना किसी को कोई किराया दिए आईटीआर में किराए की रसीद लगाते हैं। इससे उन्हें इनकम टैक्स में आसानी से छूट मिल जाती है। शहर के ज्यादातर टैक्सपेयर यही रास्ता अपनाते हैं। फर्जी किराये की रसीद लगा छूट लेने वालों की संख्या अच्छी-खासी है। जिसे लेकर अब आयकर विभाग सतर्क हो गया है, ऐसे लोगों को चिन्हित कर उनके खिलाफ कार्रवाई की तैयारी है।
आयकर विभाग की जांच में सामने आया सच
आयकर विभाग की रैंडम जांच में पाया गया कि बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जिनके घर हैं लेकिन किराये के मकान में रहना दिखा आयकर बचाया जा रहा है। इस पर रोक के लिए विभाग ने नई टेक्नोलाजी और जांच का रास्ता पकड़ा है। आयकर कम देने के लिए फर्जी दस्तावेजों का प्रयोग धड़ल्ले से किया जाता है। अक्सर लोग इनकम टैक्स फाइल करते समय फर्जी मकान किराये की स्लिप लगा देते हैं। अगर आप भी ऐसा करते हैं तो सतर्क हो जाएं। फर्जी मकान किराये की रसीद लगाने वालों को इनकम टैक्स विभाग नोटिस भेजेगा। साथ ही विभाग एसएमएस और सोशल मीडिया के जरिए बता रहा है कि ऐसा करना पूरी तरह गलत है।
सॉफ्टवेयर पकड़ लेगा गलत दस्तावेज
फर्जी रसीद लगाकर आयकर छूट पाने वालों से बचने के लिए विभाग ने नया तरीका अपनाया है। आयकर सलाहकार सीए श्रेष्ठ गोधवानी ने बताया कि इनकम टैक्स के नए आईटीआर फार्म और संशोधित फार्म 16 को इस तरह से डिजाइन किया गया है, जिसमें गलत दस्तावेज लगाने वालों की पहचान इनकम टैक्स का नया सॉफ्टवेयर कर लेगा। आयकर विभाग द्वारा रैंडम रिटर्न की जांच में पाया गया कि बड़ी संख्या में ऐसे मामले पकड़े गए हैं कि एक तरफ उन्होंने खुद को मकान मालिक बताया है तो दूसरी तरफ किराये की रसीदें लगाई हैं। जिनकी रसीद 40 से 50 हजार रुपए महीने तक हैं।
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