२०१४ के लोकसभा चुनाव में भोले के मुकाबले इस सीट पर कांग्रेस का बड़ा चेहरा कहे जाने वाले राजाराम पाल थे। पाल तब इस सीट पर सांसद थे। उस समय भोले ने ४९.५ प्रतिशत वोट पाए थे, जबकि राजाराम को केवल ९.९ प्रतिशत वोट ही मिले थे। इस बार भोले का वोट प्रतिशत बढ़कर ५६.६ प्रतिशत हो गया पर राजाराम पाल केवल बढ़कर १०.५ प्रतिशत तक ही पहुंच सके।
माना जा रहा था कि इस बार गठबंधन होने की वजह से सपा और बसपा का थोक वोट प्रतिशत भोले को कड़ी टक्कर दे सकता है। २०१४ में सपा को १५ और बसपा को २० प्रतिशत से ज्यादा वोट मिले थे। २०१९ में गठबंधन के चलते दोनों का वोट प्रतिशत बढ़कर ३५ प्रतिशत होने के आसार थे, लेकिन गठबंधन को केवल ३० प्रतिशत वोट ही मिला।
कांग्रेसी उम्मीदवार राजाराम पाल मिली करारी हार को पचा नहीं पा रहे हैं। एक ओर जहां गठबंधन की प्रत्याशी निशा सचान ने मोदी लहर को हार की वजह माना और समर्थकों संग बैठकर हार पर मंथन करने की बात कही तो दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी राजाराम पाल ने इसे फिक्स मैच बता दिया। बोले ईवीएम में सेटिंग के चलते यह चुनाव परिणाम रहे। बोलो पीएम को पहले ही पता था कि ३०० सीटें मिलेंगी, ऐसा कोई तभी कहता है जब उसने पहले से ही सब सेट कर रखा हो।