39 भारतीयों के मोसूल में मारे जाने के बाद लोगों में गुस्सा, मौलाना ने आंतकवादियों को खत्म करने की मांग
कनपुर। इराक के शहर मोसुल में आईएस के आतंकवादियों ने 2014 में 39 भारतीयों को अगवा कर उनका कत्ल कर दिया था। भारत और इराकी सरकार ने भारतीयों के शव एक पहाड़ी से बाहर निकलवाए और डीएनए के बाद उनकी मौत की पुष्टि की। विदेशमंत्री
सुषमा स्वराज ने जैसे ही यह खहर संसद सदस्यों को बताई तो पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। कानपुर के लोग भी मृतक के परिजनों को शोक संवेदना व्यक्त करने के साथ कैंडिल मार्च निकाल बगदादी के सिर लाए जाने की मांग की। आल इंडिया गरीब नवाज कौंसिल के अध्यक्ष मौलाना हाशिम अशरफी ने मोसुल में हुई भारतीयों की हत्या पर रोष जताते हुए सभी मुल्कों से एक होकर दहशतर्दी का खात्मा करने का आह्वान किया है। मौलाना हाशिम अशरफी ने कहा कि इस्लाम में किसी भी तरह की हिंसा की कोई जगह नहीं है। खून बहाना तो दूर किसी के खरोंच तक आ जाए तो खराब माना जाता है। इस्लाम के नाम पर आतंकवादी इंसान और इंसानियत का कत्ल कर रहे हैं। वक्त आ गया है कि जिस देश में चाहे पाकिस्तान में बैठा हाफिज हो या अन्य आंतकवादी उन्हें उन्हें घुसकर खत्म करना होगा।
मृतक आश्रितों को मुआवजा दिए जाने की मांगइराक के मोसुल शहर में मारे गए 39 भारतीयों को डॉ. वीरेंद्र स्वरूप कालेज ऑफ मैनेजमेंट स्टडी मकरावर्टगंज के छात्र-छात्राओं ने श्रद्धांजलि दी। छात्राओं ने कैंडल जलाकर मृतक आश्रितों को मुआवजा दिए जाने की मांग की। हस्ताक्षर अभियान भी चलाया गया। कालेज के डायरेक्टर डॉ. मजहर अब्बास जामी ने कहा कि मोसुल में हुई यह घटना निंदनीय है। प्रोफेसर देशराज साहू ने प्रत्येक मृतक आश्रित परिवार को एक एक करोड़ रुपये का मुआवजा देने की मांग की। वहीं आल इंडिया गरीब नवाज कौंसिल के अध्यक्ष मौलाना हाशिम अशरफी ने कहा कि पिछले एक दशक से आतंकवादी निर्दोष इंसानों का खून बहा रहे हैं। बावजूद कुछ देश अपने निज स्वार्थो के लिए इनकी मदद करते हैं। विश्व के देशों को इस पर अब विचार करना होगा। आंतकवादियों के खात्में के लिए पूरे वर्ल्ड को एक साथ आना होगा, तभी इसी गंभीर बीमारी का इलाज हो पाएगा।
पाकिस्तान आतंकियों की फैक्ट्रीमौलाना हाशिम अशरफी ने कहा कि इस्लाम में दहशतगर्दी को कोई स्थान नहीं है। इस्लाम किसी का खून बहाने का इजादत नहीं देता। अगर किसी इंसान के सुई भी चुभ जाए तो इस्लाम में इसे पाप माना जाता है। इस मौके पर मौजूद लोगों ने ं मृतकों के आत्मा की शांति एवं पीड़ित परिवारों को सब्र देने की दुआ हुई। मौलाना हाशिम अशरफी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मांग की वह पूरे विश्व को एक पटल पर लाएं और दहशतगर्दी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई करें। पाकिस्तान की सरकार और सेना दहशतगर्दो को पाल-पोल रही है, लेकिन एक दिन यही सपोले इन्हें डसेंगे। मोदी सरकार को
हाफिज सईद के साथ ही अन्य आतंकियों को मारने के लिए सेना को आदेश देना चाहिए। मौलाना ने कहा कि पाकिस्तान आतंकियों की फैक्ट्री बन चुका है और इसे नेस्तानबूद करने का वक्त आ गया है। अगर इन्हें जल्द नहीं खत्म किया गया तो आने वाले दिनों में यह सपोले भारत को डसेंगे।
कानपुर में पड़ी थी बगदादी की नजरआतंक के इस्लामिक स्टेट का खलीफा अबू बकर अल बगदादी की नजर भारत पर भी पड़ी थी और कानपुर भी इसकी चपेट में आ गया था। बगदादी के स्लीपर सेल्स भटके हुए नौजवानों को बरगलाने कर आईएस में शामिल कर चुके हैं तो कईयों को सोशल साइड के जरिए जोड़ा था। आईएस के आंतकियों ने कानपुर के जाजमऊ को अपना हेडक्वार्टर बनाया था। लखनऊ में मारे गए आतकी सैफुउल्लाह आईएस को डिप्टी तो गौस मोहम्मद कमांडर-इन-चीफ था। गौस मोहम्मद ने युवाओं को आतंक के रास्ते पर धकेलने के लिए हिजरत को जरिया बनाया और पूरे देश में टेरर फैलाने के लिए आतंक के सामान की मैन्युफैक्चरिंग भी यहीं करवा रहा था। उसने युवाओं को आईएस की मैग्जीन से बम बनाने की ट्रेनिंग दी थी। यह सब खुलासे भोपाल उज्जैन पैसेंजर ट्रेन की जांच करने वाली नेशनल इंवेस्टिगेटिव एजेंसी की चार्जशीट में हुआ है जिसे एनआईए ने कोर्ट में सबमिट किया है।
उगते सूरज की धरती पर कब्जाभारत पर बगदादी के निशाने की एक वजह इस्लामिक स्टेट का खोरासन तक खलीफाशाही कायम करने का सपना भी था। दरअसल खोरासन का शाब्दिक अर्थ होता है उगते सूरज की धरती। खोरासन वो प्राचीन इलाका है जिसमें अफगानिस्तान का हेरात और बालखंड, ईरान के मशाद और निशापोर, तुर्कमेनिस्तान के मेरी और निसा शहर और उजबेकिस्तान के बुखारा और समरकंद है। इसके प्राचीन इलाके में भारतीय उपमहाद्वीप के कई इलाके आते हैं। उनमें सिंध के साथ-सात हिंदूकुश पर्वत श्रृंखला भी आती है। इसीलिए साल 2014 में आईएस ने जब खलीफाशाही का ऐलान किया तो उसने जो नक्शा जारी किया उसमें गुजरात से लेकर उत्तर-पश्चिम भारत के बड़े हिस्से को भी आईएस के इस्लामिक राज का हिस्सा बताया गया था। मौलाना ने कहा कि सैफुउल्ला के चलते उसके परिजनों के अलावा कानपुर के लोगों का नाम बदनाम हुआ। उसने जो किया उसे उसकी सजा मिली। अब 39 भारतीयों का कत्ल करने वाले को सजा दिए जाने का वक्त है।