बेहमई कांड के वादी राजाराम कोर्ट में मुकर गए थे, 6 फरवरी 2013 को हुए थे बयान
इस घटना को 39 वर्ष गुजर गए। उसकी वजह इस कांड के वादी व गवाह द्वारा कई बार बयान बदलना।

कानपुर-कानपुर देहात के बेहमई में 1981 में फूलन देवी द्वारा गोलियों से 20 लोगों को भून देने की घटना आज भी लोगों की जुबान पर है। बीते दिनों इस घटना के वादी राजाराम सिंह का बीमारी के चलते निधन हो गया। मामला न्यायालय में चल रहा है। इस घटना को 39 वर्ष गुजर गए। उसकी वजह इस कांड के वादी व गवाह द्वारा कई बार बयान बदलना। ऐसे ही घटनाक्रम की वजह फैसले में देरी होती रही। वहीं वर्ष 2013 में वादी ने एक आरोपी के घटना में शामिल होने से इनकार किया था। जबकि घटना के बाद जेल में शिनाख्त परेड के दौरान बतौर उसकी आरोपी के रूप में पहचान की थी। इसके बाद दोबारा गवाही में उसने कुछ याद न होने की बात कही थी।
14 फरवरी 1981 का काला दिवस
दरअसल 14 फरवरी 1981 का वह काला दिवस जब बेहमई गांव में दस्यु सुंदरी फूलन देवी ने दहशत भरी घटना को अंजाम दिया था। उसने अपने साथियों संग पहुंचकर 26 पुरुषों को गांव के बाहर लाइन में खड़ाकर अंधाधुंध फायरिंग की थी। जिसमें 20 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 6 गंभीर रूप से घायल हो गए थे। इस घटना में गांव के राजाराम सिंह ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। घटना में राजाराम सिंह के दो सगे, एक चचेरे भाई व तीन भतीजे मारे गए थे। इस मामले लंबे समय तक गवाही नहीं हुई। 6 फरवरी 2013 को कानपुर में एडीजे एमए खान की अदालत में जब बयान कराए गए तो वादी राजाराम सिंह ने आरोपी विश्वनाथ उर्फ पुतानी को घटना में शामिल न होने की बात कही थी। जबकि घटना के बाद जिला कारागार कानपुर में शिनाख्त परेड के दौरान राजाराम ने विश्वनाथ को आरोपी बताते हुए पहचाना था।
मामले में 24 दिसंबर को होनी है सुनवाई
इस पर तत्कालीन एडीजीसी राजू पोरवाल ने जेल से दस्तावेज तलब किए थे, लेकिन जेल में दस्तावेज न मिलने से वादी राजाराम व गवाह वकील सिंह की दोबारा गवाही कराई थी। उसमें वादी ने विश्वनाथ के पहचानने की बात पर कहा कि उन्हें याद नहीं है। इस कारण सुनवाई की प्रक्रिया लंबी चलती रही। अंत में मामला मूल केस डायरी न होने पर लटक गया। जिला शासकीय अधिवक्ता फौजदारी राजू पोरवाल के मुताबिक आरोपी विश्वनाथ उर्फ पुतानी के मामले में वादी राजाराम सिंह की दोबारा गवाही करानी पड़ी थी। हालांकि वादी की मौत हो या फिर मूल केस डायरी पत्रावली में न मिलने का मामला हो, इससे अदालत के फैसले पर असर नहीं पड़ेगा। मामले में 24 दिसंबर को सुनवाई होनी है।
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