मेडिकल कॉलेज के इंस्टीट्यूट बनने के बाद सुविधाएं काफी बढ़ जाएंगी। इससे नगर सहित आसपास के जिलों से आने वाले मरीजों को भी काफी लाभ होगा। कानपुर में ही हर स्तर के गंभीर रोगों का इलाज उपलब्ध रहेगा। इंस्टीट्यूट बनने से न केवल बजट बढ़ जाएगा, बल्कि प्राचार्य के अधिकार भी बहुत बढ़ जाएंगे। इसके चलते चिकित्सा शिक्षक, पैरामेडिकल स्टॉफ, नॉन पैरामेडिकल स्टाफ की भर्ती भी स्थानीय स्तर पर की जा सकेगी। इसके अलावा नए चिकित्सा विभाग खुलेंगे, जिससे उन मरीजों को भी कानपुर में ही उन रोगों का इलाज मिलेगा, जिनका इलाज कराने के लिए उन्हें लखनऊ और दिल्ली जाना पड़ता है।
इंस्टीट्यूट बनने के बाद मेडिकल कॉलेज और उससे संबद्ध हैलट, अपर इंडिया शुगर एक्सचेंज जच्चा-बच्चा अस्पताल, बाल रोग चिकित्सालय, मुरारी लाल चेस्ट अस्पताल, संक्रामक रोग चिकित्सालय के साथ-साथ कार्डियोलॉजी और जेके कैंसर संस्थान भी शामिल हो जाएंगे। इसके अलावा इंस्टीट्यूट में प्लास्टिक सर्जरी, ओको सर्जरी, गैस्ट्रो, यूरो सहित कई यूनिटें खुलेंगी। इन अस्पतालों में भर्ती मरीजों को लखनऊ के सहारे नहीं रहना पड़ेगा।
इंस्टीट्यूट बनने के बाद जीएसवीएम का नाम बदल जाएगा। इस नया नाम अग्रिम (अटल बिहारी गणेश शंकर विद्यार्थी मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल रिसर्च इंस्टीट्यूट) हो जाएगा। इंस्टीट्यूट बनते ही यह मेडिकल कॉलेज का नाम बदल जाएगा।