scriptकोख की कोशिका में बदलाव होते ही बजेगी कैंसर के खतरे की घंटी | The transformation of cells will identify the cervical cancer | Patrika News

कोख की कोशिका में बदलाव होते ही बजेगी कैंसर के खतरे की घंटी

locationकानपुरPublished: Jul 23, 2019 11:37:48 am

आईआईटी कानपुर और मेडिकल कालेज करेगा संयुक्त शोध साथ ही घुटने की पैडिंग और कार्टिलेज कोशिकाओं पर होगा अध्ययन
 

Cervical cancer

कोख की कोशिका में बदलाव होते ही बजेगी कैंसर के खतरे की घंटी

कानपुर। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज का स्त्री रोग विभाग सर्वाइकल कैंसर को शुरूआती चरण में ही पहचानकर इलाज दिए जाने की दिशा में शोध कर रहा है। इसके जरिए कोशिकाओं के शुरूआती बदलाव से ही गर्भाशय के मुख के कैंसर की पहचान हो जाएगी। यह बदलाव आप्टिकल डेंसिटी उपकरण की जांच से पता चल जाएगा और सही समय पर इलाज मिलने से बीमारी को खत्म किया जा सकेगा। इसके अलावा आईआईटी और मेडिकल कॉलेज से जुड़े १५ अन्य शोध को भी हरी झंडी मिल गई है।
जानलेवा होता है सर्वाइकल कैंसर
महिलाओं में कैंसर से होने वाली मौत का सबसे आम कारण सर्वाइकल कैंसर है? समय पर इलाज ना मिलने पर 15 से 44 वर्ष की आयु की महिलाओं में ये कैंसर उनकी मौत का दूसरा सबसे बड़ा कारण बन रहा है। देश में मात्र 3.1 प्रतिशत महिलाओं की इस हालत के लिए जांच हो पाती है, जिससे बाकी महिलाएं खतरे के साये में ही जीती हैं। गर्भाशय ग्रीवा के क्षेत्र में जहां एक सेल दूसरे प्रकार की सेल में परिवर्तित होती है, उसे स्क्वेमो-कॉलमर जंक्शन कहा जाता है. यह ऐसा क्षेत्र है, जहां कैंसर के विकास की सबसे अधिक संभावना रहती है। गर्भाशय-ग्रीवा का कैंसर धीरे-धीरे विकसित होता है और समय के साथ पूर्ण विकसित हो जाता है। समय से इलाज मिलने पर इस बीमारी को खत्म किया जा सकता है।
घुटने की मृत कोशिकाओं पर आईआईटी करेगा शोध
मेडिकल कॉलेज की इथिकल कमेटी में घुटने की मृत कोशिकाओं पर शोध को भी मंजूरी मिल गई। इसमें आईआईटी अस्थि रोग विभाग के साथ मिलकर घुटने की पैडिंग और कार्टिलेज कोशिकाओं पर शोध करेगा। जिसमें आस्टियोपोरोसिस के रोगियों के घुटने की कार्टिलेज और पैडिंग कोशिकाओं को रिजनरेट करने की संभावाएं तलाशी जाएंगी।
कुत्ते के काटने पर एक ही इंजेक्शन
मेडिसिन विभाग की अध्यक्ष डॉ. रिचा गिरि के शोध को भी मंजूरी मिली है, जिसमें कुत्ता के काटने पर एक ही इंजेक्शन लगाने की जरूरत होगी। इसमें कुत्ते के काटने के दौरान हुए जख्म के चारो तरफ इम्युनोग्लोबलिन का इंजेक्शन लगाकर रोग को बढऩे से रोका जा सकेगा।
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