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पढ़ाई के साथ बच्चों का भविष्य भी सलीके से संवारते हैं यह सरकारी शिक्षक

locationकानपुरPublished: Sep 05, 2019 11:18:24 am

कटरी शंकरसराय का प्राइमरी स्कूल किसी मायने में कांवेंट स्कूल से कम नहीं है रोजाना क्यूआर कोड से होती है पढ़ाई, कमजोर बच्चों के लिए लगती हैं ज्ञानवान कक्षाएं

convent like education in a government school

पढ़ाई के साथ बच्चों का भविष्य भी सलीके से संवारते हैं यह सरकारी शिक्षक

कानपुर। सरकारी स्कूलों में पढ़ाई का हाल सब जानते हैं। हर कोई अपने बच्चों को कांवेंट स्कूलों में पढ़ाना चाहता है, मगर सक्षम लोग ही ऐसा कर पाते हैं। गरीबों के बच्चे तो सरकारी स्कूलों में ही पढ़ते हैं। मगर पूर्व माध्यमिक विद्यालय, कटरी शंकरपुर सराय अकेला ऐसा सरकारी स्कूल है जहां की शिक्षा व्यवस्था कांवेंट की शिक्षण प्रणाली को टक्कर देती है। इस जूनियर हाईस्कूल में सत्र 2008-09 में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं में अपवाद छोड़ किसी ने पढ़ाई नहीं छोड़ी। यहां पर कक्षा 06 में प्रवेश लेने वाले कमजोर बच्चों के लिए ज्ञानवान कक्षाएं लगाई जाती हैं ताकि वह अन्य छात्रों के साथ पढ़ाई में बराबरी कर सकें।
कटरी का कांवेंट कहा जाता इसे
कटरी का कांवेंट कहे जाने वाले इस विद्यालय की खास बात यह है कि जब से यह स्थापित है तब से यहां बच्चों की हाजिरी 99-100 फीसदी तक रहती है। वर्तमान में यहां 70 बालक और 77 बालिकाएं हैं। स्कूल इनकी निगरानी और मदद करता रहता है। छात्रा पूजा ने पीपीएन डिग्री कॉलेज में एमए प्रथम वर्ष में प्रवेश लिया है। एक वरिष्ठ शिक्षिका ने उसे इस मंजिल तक पहुंचाया है।
क्यूआर कोड से होती पढ़ाई
स्कूल में नियमित रूप से क्यूआर कोड से पढ़ाई कराई जाती है। इसमें बच्चे खूब रुचि लेते हैं। यहां पढऩे वाले बच्चे आठवीं के बाद पढ़ाई नहीं छोड़ते हैं। स्कूल को आदर्श बनाने में प्रधानाध्यापिका शशी मिश्रा, सहायक अध्यापक अब्दुल कुद्दूस खान, कल्पना सिंह, फिरदौस जहां, विजय यादव, पुष्पेंद्र व दीपा शुक्ला की अहम भूमिका रही है। चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी अतीक अहमद का भी योगदान कम नहीं है। यहां की प्रधान ननकी देवी और स्कूल मैनेजमेंट कमेटी के अध्यक्ष सुखदेव निषाद भी अहम भूमिका निभाते हैं। प्रधानाध्यापिका शशी मिश्रा ने बताया कि एक दशक से ज्यादा की मेहनत के बाद स्कूल बुलंदियों पर पहुंचा है। बच्चे स्कूल छोडऩे के बाद उच्च शिक्षा में जा रहे हैं।
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