सैम यानि सीवियर मेल न्यूट्रीटेड की श्रेणी में वे बच्चे आते हैं जो अलग-अलग कारणों के चलते बचपन से ही अति कुपोषित होते हैं। इन बच्चों को खास देखभाल की जरूरत होती है। इस तरह के बीमार बच्चों को अनिवार्य रूप से एंटीबायोटिक दी जाती है। पूरी दुनिया में सैम बच्चों के इलाज का यही तरीका है। अब जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर इन बच्चों को एंटीबायोटिक से बचाने के लिए शोध करेंगे।
यह रिसर्च एक हजार अति कुपोषित बच्चों पर होगा। इसके लिए बच्चों की स्क्रीनिंग आंगनबाड़ी केंद्रों में हो चुकी है। शोधकर्ता प्रो. यशवंत राव के मुताबिक यह रिसर्च मेडिकल कम्युनिटी मेडिसिन विभाग और स्वास्थ्य विभाग के सहयोग से किया जाएगा। एक वर्ष तक बच्चे डॉक्टरों की देखरेख में रहेंगे। इस रिसर्च का मकसद केवल एंटीबायोटिक के रिजल्ट को लेकर है।
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के डॉक्टर इस शोध में यह नहीं देखेंगे कि एंटीबायोटिक बंद करने से अति कुपोषित बच्चों को फायदा हो रहा है या नुकसान। एंटीबायोटिक का फायदा तो जरूरी है, लेकिन नुकसान भी होता ही है। ऐसे में शोधकर्ता यह देखेंगे कि एंटीबायोटिक बंद करने से बच्चे के स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है और अगर इससे बच्चे को कोई ज्यादा नुकसान नहीं होता है तो इस शोध को आगे बढ़ाया जाएगा।