अब पढ़ाई का तरीका बदल गया है। तेजी से हाईटेक होते युग में परिषदीय स्कूलों से लेकर पब्लिक स्कूलों तक में मोबाइल एप से पढ़ाई का चलन शुरू हो गया है। पढ़ाई के प्रति रुझान पैदा करने के लिए परिषदीय स्कूलों की कक्षा 08 तक की पुस्तकों में क्यूआर कोड दिया गया है। इसे स्कैन कर चैप्टर की पढ़ाई कराई जाती है।
पढ़ाई में मोबाइल एप के उपयोग कई खास कारणों से होता है। जब शिक्षक के पढ़ाने का तरीका ऐसा हो जिसमें बच्चे समझ न पा रहे हों तब इसका उपयोग सकारात्मक नतीजे देता है। अगर बच्चे कक्षा में ध्यान न देते हों तो भी एप का सहारा लिया जाता है। इससे बच्चों को विषय आसानी से समझ में आता है। क्लास में डिजिटल बोर्ड से पढ़ाना या बड़ी स्क्रीन पर पढ़ाना सुरक्षित है। इससे अधिक नुकसान नहीं होता।
एप से की जाने वाली पढ़ाई से बच्चे का दिमाग से तालमेल बिगड़ जाता है। क्योंकि जब बच्चे मोबाइल पर कोई लेक्चर सुनते हैं या उसी से पढ़ाई करते हैं तो वह उसे नोट नहीं करते हैं। एक के बाद एक लेक्चर सुनने की आदत हो जाती है। धीरे-धीरे जरूरत आदत में बदल जाती है। केवल देखने या सुनने से मस्तिष्क और हाथ का समन्वय कमजोर हो जाता है।
सामान्य कक्षाओं में पढऩे वाले बच्चों की परीक्षा पर असर पड़ता है। बच्चे परीक्षा में तेजी से लिख नहीं पाते हैं। परिणाम स्वरूप उन्हें जवाब आते हैं लेकिन पेपर हल नहीं कर पाते हैं। परीक्षाओं की तैयारी करने वालों पर यह इतना असर नहीं डालता।