दरअसल वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए बार सेनेटाइज करना होता है। इसके लिए ये डिवाइस बहुत ही जरूरतमंद है। कई लोग आलस्य में बार बार न उठने के चलते हांथ को नहीं धुलते हैं और ना ही सेनेटाइज करते हैं। ऐसे लोग इसका लाभ ले सकते हैं। खासतौर पर यह दिव्यांग व्यक्ति के लिए बहुत ही लाभदायक साबित होगी। आपको बता दें कि पार्थ बंसल ने 4 वर्ष पूर्व जब 9 वीं के छात्र थे। छात्र की दादी पार्किसंस की मरीज है। ऐसी मरीजों को चलने फिरने में कठिनाई होती थी। स्वास्थ सेवा में कार्यरत एवं समाजसेवी पार्थ के पिता संदीप बंसल ने बताया कि पार्थ बचपन से ही कलपुर्जों से खेलता था। दादी की इस परेशानी को देख उसने लेकर स्टिक का निर्माण किया।
उसके इस छोटे से आविष्कार के बाद उसे तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी द्वारा पुरस्कृत किया गया। कई अन्य पुरस्कार के बाद उसे 26 जनवरी 2020 को वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा भारत सरकार का पेटेंट दिया गया। आज कोरोना वायरस के संकट से जूझ रहे अपने देश के लिए कुछ करने का जज्बा रखने वाले पार्थ ने फिर अपनी छोटी प्रतिभा से सेनेटाइजर डिवाइस बनाकर लोगों को राहत पहुंचाने की कोशिश में लगे हैं। वहीं पार्थ बंसल ने बताया कि इस डिवाइस के द्वारा आसानी से लोग बार बार स्प्रे कर खुद को सेनेटाइज कर संक्रमण से बचाव कर सकते हैं। कोई भी व्यक्ति इस घर पर आसानी से बना सकता है।