बता दें कि कानपुर देहात में रबी, खरीफ व जायद सहित अन्य बागवानी फसलों की बोआई के समय उर्वरकों की आपूर्ति कानपुर नगर के रूमा रेलवे रैक प्वाइंट से की जाती है। कभी कभी ऐसा होता है कि आवश्यकता के अनुरूप उर्वरक नही मिल पाती है, जिससे त्राहि माम मच जाती है। इससे किसानों को बुवाई में समस्या खड़ी हो जाती है। इस समस्या को लेकर 2016 में तत्कालीन डीएम कुमार रविकांत सिंह ने रूरा रेलवे स्टेशन को रैक प्वाइंट के रूप में विकसित करने का प्रस्ताव भेजा था।
काफी जद्दोजहद के बाद रेल मंत्रालय ने एक रेलवे स्टेशन को फर्टिलाइजर रैक प्वाइंट के रूप में विकसित करने की मंजूरी दी थी। इस पर दिल्ली-हावड़ा रेल लाइन के रूरा, अंबियापुर, भाऊपुर स्टेशन सहित कानपुर-झांसी रेल लाइन के लालपुर, मलासा, चौरा व पुखरायां स्टेशनों का रेल अधिकारियों ने कई बार निरीक्षण किया, लेकिन स्टेशनों के मानक पर खरा न उतरने से रैक प्वाइंट बनाने पर सहमति नहीं बन सकी। इसके चलते किसानों की उर्वरक समस्या को देखते हुए कृषि अधिकारियों ने रूरा रेलवे स्टेशन को फिर से रैक प्वाइंट के रूप में विकसित करने की मांग उठाई है।
जिला कृषि अधिकारी सुमित पटेल ने बताया कि बीते दिनों कानपुर नगर में हुई खरीफ गोष्ठी में भी रैक प्वाइंट का मुद्दा डीएम ने उठाया था। इस पर मंडलीय अधिकारियों ने शासन स्तर पर पत्र भेजने की बात कही है ताकि एक स्टेशन को जल्द रैक प्वाइंट के रूप में विकसित किया जा सके। उपनिदेशक कृषि विनोद कुमार यादव ने बताया कि दिल्ली-हावड़ा व कानपुर-झांसी रेल लाइन के कई स्टेशनों का पहले भी निरीक्षण किया जा चुका है, लेकिन रेल अधिकारियों ने मानक पूरे न होने की बात कहकर टाल दिया। रूरा स्टेशन को उर्वरक रैक प्वाइंट के रूप में विकसित कराने को लेकर जिलाधिकारी से मांग की गई है।