कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र के दो बड़े नाम
पहली बार ऐसा हुआ कि भाजपा ने कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र पर पूरी तरह कब्जा किया है। इस क्षेत्र की दस में से दस सीटों पर भगवा फहराया। २०१४ में इस क्षेत्र से सपा की झोली में गई कन्नौज संसदीय सीट पर भी इस बार भाजपा के सुब्रत पाठक ने कमल खिला दिया। यह सीट सबसे हाईप्रोफाइल सीट है, यहां पर मुलायम ङ्क्षसह, अखिलेश यादव और डिंपल यादव सांसद रह चुकी हैं। लंबे समय बाद यहां हुई भाजपा की जीत का श्रेय क्षेत्र के अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह और प्रभारी अशोक कटारिया को दिया जा रहा है। दोनों नेताओं के काम का इनाम उन्हें मिल सकता है।
पहली बार ऐसा हुआ कि भाजपा ने कानपुर-बुंदेलखंड क्षेत्र पर पूरी तरह कब्जा किया है। इस क्षेत्र की दस में से दस सीटों पर भगवा फहराया। २०१४ में इस क्षेत्र से सपा की झोली में गई कन्नौज संसदीय सीट पर भी इस बार भाजपा के सुब्रत पाठक ने कमल खिला दिया। यह सीट सबसे हाईप्रोफाइल सीट है, यहां पर मुलायम ङ्क्षसह, अखिलेश यादव और डिंपल यादव सांसद रह चुकी हैं। लंबे समय बाद यहां हुई भाजपा की जीत का श्रेय क्षेत्र के अध्यक्ष मानवेंद्र सिंह और प्रभारी अशोक कटारिया को दिया जा रहा है। दोनों नेताओं के काम का इनाम उन्हें मिल सकता है।
मोदी के लिए बहाया पसीना
तीसरा नाम कानपुर के सलिल विश्नोई का है। विश्नोई आर्यनगर क्षेत्र से पूर्व विधायक रह चुके हैं। इन्हें लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी की संसदीय सीट वाराणसी में चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी दी गई थी। हालांकि मोदी की जीत पहले से तय मानी जा रही थी, लेकिन काशी क्षेत्र के प्रभारी बने विश्नोई ने ऐसा जबरदस्त काम किया कि मोदी ने बड़ी लीड के साथ विजय पाई। कानपुर में प्रदेश सरकार के दो मंत्रियों महाना और पचौरी में एक पद खाली होगा। पचौरी के इस्तीफे के बाद उनकी जगह सलिल विश्नोई को दी जा सकती है, उन्हें पचौरी की सीट पर ही विधायक का चुनाव भी लड़वाए जाने की संभावना है।
तीसरा नाम कानपुर के सलिल विश्नोई का है। विश्नोई आर्यनगर क्षेत्र से पूर्व विधायक रह चुके हैं। इन्हें लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम मोदी की संसदीय सीट वाराणसी में चुनाव प्रबंधन की जिम्मेदारी दी गई थी। हालांकि मोदी की जीत पहले से तय मानी जा रही थी, लेकिन काशी क्षेत्र के प्रभारी बने विश्नोई ने ऐसा जबरदस्त काम किया कि मोदी ने बड़ी लीड के साथ विजय पाई। कानपुर में प्रदेश सरकार के दो मंत्रियों महाना और पचौरी में एक पद खाली होगा। पचौरी के इस्तीफे के बाद उनकी जगह सलिल विश्नोई को दी जा सकती है, उन्हें पचौरी की सीट पर ही विधायक का चुनाव भी लड़वाए जाने की संभावना है।