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समर्थकों के तमाशे से कांग्रेसी पर्यवेक्षक हुए परेशान

locationकानपुरPublished: Mar 05, 2019 01:32:22 pm

नेता आए नहीं और समर्थक आपस में उलझते रहे
श्रीप्रकाश और अजय कपूर में टिकट को लेकर खींचतान

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समर्थकों के तमाशे से कांग्रेसी पर्यवेक्षक हुए परेशान

कानपुर। लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, टिकट को लेकर कांग्रेसियों में खींचतान और बढ़ गई है। स्थिति यह हो गई है कि टिकट के लिए चर्चा भी सही ढंग से नहीं हो पा रही है। प्रत्याशी चयन को लेकर होने वाली बैठक हंगामें में ही निपट रही है। ऐसा कई बार हो चुका है। जिसके चलते अब कांग्रेसी पर्यवेक्षक भी परेशान हो चुके हैं।
बैठकों का नहीं निकल रहा नतीजा
कांग्रेस हाईकमान ने कानपुर शहर और अकबरपुर लोकसभा सीट की नब्ज टटोलने का काम फिर शुरू कर दिया है। सोमवार को पार्टी सचिव रोहित चौधरी और पर्यवेक्षक पंकज उपाध्याय ने समीक्षा कर चुनाव तैयारियों का जायजा लिया। उनके सामने विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी रहे दो नेताओं के समर्थकों में तनातनी तक हो गई। नोकझोंक संग आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला इस कदर चलता रहा कि बैठक बेनतीजा खत्म हो गई।
बेकाबू हो रहे समर्थक
प्रत्याशी चयन के लिए तिलक हॉल में विधानसभावार नेताओं-कार्यकर्ताओं को बुलाकर चुनावी तैयारी पर चर्चा शुरू की गई। इसी बीच शैलेंद्र दीक्षित और अम्बुल शुक्ल में नोकझोंक होने लगी। दोनों अपने-अपने नेताओं के लिए टिकट की दावेदारी करने लगे। गर्मागर्मी बढ़ी तो नारेबाजी शुरू हो गई। पूर्व केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल पहले ही दोनों नेताओं से मिलकर चले गए। शहर सीट से श्रीप्रकाश के भाई प्रमोद जायसवाल, हरप्रकाश अग्निहोत्री, पवन गुप्ता, आलोक मिश्र, मदन मोहन शुक्ल, आशीष पांडेय, अब्दुल मन्नान, भूधर नारायण मिश्र ने पर्यवेक्षक के सामने दावा रखने के साथ ही बायोडाटा भी दिया। तैयारी पूछी तो सबने जीत के आधार गिना दिए। अजय कपूर के समर्थकों ने उनकी पैरवी कर पर्यवेक्षक को प्रस्ताव दिया। कृपेश त्रिपाठी, संदीप शुक्ल, इकबाल अहमद ने राहुल गांधी की बात को कोट कर जमीनी नेता को ही टिकट दिलाने का प्रस्ताव दिया।
अकबरपुर में भी खींचतान
अकबरपुर सीट पर ग्रामीण जिलाध्यक्ष संजीव दरियाबादी, देहात अध्यक्ष नीतम सचान ने ब्राह्मण या कुर्मी को लड़ाने की खुलकर वकालत की। बोले, गठबंधन और भाजपा के चेहरे लगभग तय हो गए हैं इसलिए कांग्रेस को इससे इतर दांव लगाना चाहिए। देहात अध्यक्ष के साथ राजीव द्विवेदी ने अपना दावा देने के साथ बायोडॉटा भी दिया। राजाराम पाल का दावा सियाराम पाल और नरेश त्रिपाठी ने पेश किया।

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