६०० आवंटियों के मूलधन में कटौती
अब तक ६०० आवंटी अपनी रकम वापस ले चुके हैं, लेकिन उन्हें १२ प्रतिशत की कटौती झेलनी पड़ी। रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट दीपक द्विवेदी के अलाया आयकर अधिकारी एके वर्मा ने इसका प्रबल विरोध किया था। इस मामले में रेरा ने ब्याज समेत आवंटियों को मूलधन वापसी का आदेश दिया था।
अब तक ६०० आवंटी अपनी रकम वापस ले चुके हैं, लेकिन उन्हें १२ प्रतिशत की कटौती झेलनी पड़ी। रेजीडेंट वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट दीपक द्विवेदी के अलाया आयकर अधिकारी एके वर्मा ने इसका प्रबल विरोध किया था। इस मामले में रेरा ने ब्याज समेत आवंटियों को मूलधन वापसी का आदेश दिया था।
उद्यमियों को भी राहत मिलेगी
उद्योग लगाने में देरी होने पर मिलने वाली समय विस्तारण की सालाना समयसीमा और शुल्क जमा करने में भी उद्यमियों को राहत देने के प्रस्ताव पर बोर्ड ने सहमति जताई है। बोर्ड बैठक में जिन प्रस्तावों पर सहमति बनी है, उन्हें शासन की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। मंजूरी मिलते ही प्रस्ताव लागू हो जाएंगे। प्रदेश के अधिकतर विकास प्राधिकरणों में व्यावसायिक भूखंडों को ऑनलाइन नीलामी के जरिए बेचे जाने की व्यवस्था लागू है।
उद्योग लगाने में देरी होने पर मिलने वाली समय विस्तारण की सालाना समयसीमा और शुल्क जमा करने में भी उद्यमियों को राहत देने के प्रस्ताव पर बोर्ड ने सहमति जताई है। बोर्ड बैठक में जिन प्रस्तावों पर सहमति बनी है, उन्हें शासन की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। मंजूरी मिलते ही प्रस्ताव लागू हो जाएंगे। प्रदेश के अधिकतर विकास प्राधिकरणों में व्यावसायिक भूखंडों को ऑनलाइन नीलामी के जरिए बेचे जाने की व्यवस्था लागू है।
उद्यमियों ने दिया समयसीमा विस्तार में बदलाव का प्रस्ताव
यूपीसीडा से भूखंड का आवंटन मिलने के बाद उद्यमियों को चार साल की निर्धारित समयसीमा के भीतर उद्योग लगाना पड़ता है। कई बार इस समयसीमा में उद्योग न लगने पर उद्यमी निर्धारित शुल्क जमाकर समयसीमा को साल-साल भर के लिए दो बार आगे बढ़वा सकते हैं। उद्यमियों ने समयसीमा विस्तार को सालाना के बजाय छमाही-तिमाही करने और इसी आधार पर शुल्क लेने का सुझाव यूपीसीडा को दिया था। इसके बाद अब इसे कम करने पर फैसला हुआ है। हालांकि समयसीमा की किस्तें शासन की मंजूरी के बाद घोषित होंगी।
यूपीसीडा से भूखंड का आवंटन मिलने के बाद उद्यमियों को चार साल की निर्धारित समयसीमा के भीतर उद्योग लगाना पड़ता है। कई बार इस समयसीमा में उद्योग न लगने पर उद्यमी निर्धारित शुल्क जमाकर समयसीमा को साल-साल भर के लिए दो बार आगे बढ़वा सकते हैं। उद्यमियों ने समयसीमा विस्तार को सालाना के बजाय छमाही-तिमाही करने और इसी आधार पर शुल्क लेने का सुझाव यूपीसीडा को दिया था। इसके बाद अब इसे कम करने पर फैसला हुआ है। हालांकि समयसीमा की किस्तें शासन की मंजूरी के बाद घोषित होंगी।