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सावधान : गंगा बेल्ट में तेजी के साथ बढ़ रहा है नाक का ट्यूमर

locationकानपुरPublished: Nov 24, 2018 02:18:09 pm

अंतरराष्‍ट्रीय ख्‍याति प्राप्‍त ईएनटी सर्जन डॉ. टी जानकीराम के अनुसार उत्‍तर प्रदेश की गंगा बेल्‍ट (गंगा के आसपास रहने वाले लोग) में नाक का ट्यूमर सबसे ज्‍यादा हो रहा है. यहां आपको बता दें कि जीन और हार्मोंस के डिस्‍बैलेंस होने की वजह से ऐसा होता है.

Kanpur

सावधान : गंगा बेल्ट में तेजी के साथ बढ़ रहा है नाक का ट्यूमर

कानपुर। अंतरराष्‍ट्रीय ख्‍याति प्राप्‍त ईएनटी सर्जन डॉ. टी जानकीराम के अनुसार उत्‍तर प्रदेश की गंगा बेल्‍ट (गंगा के आसपास रहने वाले लोग) में नाक का ट्यूमर सबसे ज्‍यादा हो रहा है. यहां आपको बता दें कि जीन और हार्मोंस के डिस्‍बैलेंस होने की वजह से ऐसा होता है. अब सवाल उठता है कि यूपी की गंगा बेल्‍ट में ही ऐसा क्‍यों हो रहा है. इस पर फिलहाल शोध चल रही है.

ऐसी मिली है जानकारी
जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के एनाटॉमी विभाग में फंग्‍शनल एंडोस्‍कोपी साइनस सर्जरी पर आयोजित तीन दिवसीय कार्यशाला के पहले दिन त्रिचि (तमिलनाडु) से आए डॉ. टी जानकीराम ने बताया कि उनके पास यूपी की गंगा बेल्‍ट से एंजियोफाइब्रोमा के मरीज बहुतायत में पहुंच रहे हैं. बता दें कि ये ट्यूमर ज्‍यादातर किशोरों में ही होता है. इसमें नाक के पीछे ब्रेन के पास ट्यूमर बनने लगता है.

यहां दिक्‍कत है ज्‍यादा
दुनिया में इस तरह के सबसे ज्‍यादा मरीज भारत में और भारत में यूपी की गंगा बेल्‍ट में सामने आ रहे हैं. नाक-कान गले के जितने ट्यूमर होते हैं, उनमें से 3 प्रतिशत एंजियोफाइब्रोमा के हैं. सिरदर्द, नाक से खून आना, आंखें बाहर की तरह निकलना और चेहरा फ्रोग फेस (मेढक के चेहरे की तरह) होना इसके लक्षण हैं. वे भारतीय तकनीक से ईएनटी सर्जन के साथ मिलकर नाक से ही इस तरह का ट्यूमर निकाल देते हैं. पहले न्‍यूरो सर्जन सिर काटकर इस तरह के ट्यूमर निकालते थे. अब अत्‍याधुनिक तकनीक से मरीज की जान जाने का खतरा नहीं रहता.

बढ़ रही है साइनस की समस्‍या
ईएनटी पर किताब भी लिखने वाले डॉ. जानकीराम ने बताया कि लोगों के बीच साइनस की समस्‍या बढ़ती जा रही है, लेकिन ज्‍यादातर लोग इसे सामान्‍य सिरदर्द समझकर दर्द की गोलियां खाकर टाल देते हैं. इससे संक्रमण बढ़ता है. ऐसे में मवाद आंखों और दिमाग तक पहुंच सकता है. सिरदर्द के बहुत से कारणों में से एक साइनस भी है. इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए. अब इंडोस्‍कोपी से बहुत आसानी से साइनस के ऑपरेशन हो जाते हैं.
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