कन्नौज के इस हुनर को सीखने के लिए तमिलनाडु से ३५ सदस्यीय दल आया हुआ है। सुगंध एवं सुरस विकास केंद्र (एफएफडीसी) में तमिलनाडु से आए 35 जिला उद्योग और जिला उद्यान अधिकारियों का दो दिवसीय प्रशिक्षण शुरू हुआ। तमिलनाडु सरकार की ओर से एफएफडीसी में जिला उद्योग अधिकारियों और जिला उद्यान अधिकारियों का दल एफएफडीसी भेजा गया है। दल को एफडीसी के प्रधान निदेशक शक्ति विनय शुक्ला ने औषधीय पौधों से तेल और फूलों से इत्र बनाने की सरल विधि बताई। इसके साथ ही जिलेनियम, पान मसाला में इस्तेमाल होने वाले पचौली व लेमन ग्रास का तेल निकालने के बारे में भी बताया।
एफएफडीसी के प्रधान निदेशक ने बताया कि तमिलनाडु में बड़ी संख्या में चंदन के पेड़ पाए जाते हैं। इससे वहां बड़े पैमाने पर इत्र कारोबार किया जा सकता है। इस मंशा से तमिलनाडु सरकार ने इत्र बनाने की विधि सीखने के लिए प्रतिनिधि मंडल भेजा है। दो दिवसीय प्रशिक्षण के बाद इन्हें रवाना किया जाएगा। इसके बाद यह तमिलनाडु के जिले में बेरोजगारों व कारोबारियों को इत्र बनाने का प्रशिक्षण देने के साथ सुगंध व्यापार के प्रति लोगों को प्रेरित करेंगे।
तमिलनाडु में बड़े पैमाने पर चंदन के पेड़ पाए जाते हैं। इससे सुगंध कारोबारियों को काफी फायदा होगा। वहीं तमिलनाडु में इत्र कारोबार फैलने से पड़ोसी राज्य कर्नाटक, केरल में उन्हें बड़ा बाजार मिलेगा। युवाओं के लिए रोजगार के दरवाजे खुलेंगे। साथ में निर्यात बढऩे की प्रबल संभावनाएं हैं। इससे तमिलनाडु सरकार का यह बड़ा कदम है।
अब कम लागत में चंदन का तेल और इत्र तैयार हो सकेगा। कन्नौज में तैयार चंदन के तेल और इत्र की मांग को देखते हुए चंदन का गढ़ कह जाने वाले तमिलनाडु में भी इस उद्योग के प्रति रुचि बढ़ी है। प्रशिक्षण लेने आए तमिलनाडु के अधिकारियों की मानें तो उनकी सरकार का मानना है कि यदि तमिलनाडु में होने वाले चंदन का तेल और इत्र अगर यहीं बनाया जाए तो इसकी लागत में काफी कमी आएगी। कम लागत होने के कारण इसकी मांग बढ़ेगी। नया उद्योग भी यहां स्थापित हो सकता है। बेरोजगार युवा इस क्षेत्र में अपना कॅरियर बनाकर अच्छी आमदनी कर सकते हैं। दरअसल, तमिलनाडु से चंदन अब सरकार द्वारा की जाने वाली नीलामी के जरिए ही कन्नौज तक पहुंच पाता है। बोली ऊंची होने के कारण इसके दाम बढ़ जाते हैं। अगर तमिलनाडु में ही यह कारोबार शुरू होता है तो सरकार की ओर से विशेष प्रोत्साहन दिया जाएगा। इससे इसके दाम घटेंगे। इसके अलावा इसे यहां तक लाने में होने वाले खर्च में भी कटौती होगी।