script65 जलती चिताओं के बीच कर दिया था खड़ा, जंग से हटने को तैयार नहीं हुई थीं दस्यु सीमा | untold story of bandit queen seema parihar from kanpur up hindi news | Patrika News

65 जलती चिताओं के बीच कर दिया था खड़ा, जंग से हटने को तैयार नहीं हुई थीं दस्यु सीमा

locationकानपुरPublished: Feb 02, 2018 09:57:12 am

जंगल की बैंडिड क्वीन सीमा परिहार इन दिनों रामकुमार परिहार (मुंहभोले भाई) के एक नई लड़ाई शुरू किए हुए हैं।

kanpur

कानपुर. माथे पर काला टीका, सिर पर लाल पट्टी, हाथ में दुनाला बंदूक और बदन पर बागी वर्दी। कोमल कर कमलों ने जब बंदूक थामी तो 6 लाख एकड़ में फैले इलाके में दहशत फैल गई। चंबल के बड़े-बड़े डाकू सरगना उसके बागी तेवरों की आग में पिगलते नजर आए। बीहड़ पट्टी से लेकर पूरे चंबल के चप्पे-चप्पे तक उसके नाम मात्र से ही अच्छे-अच्छों के पसीने छूट जाते हैं, पर जंगल की बैंडिड क्वीन सीमा परिहार इन दिनों रामकुमार परिहार (मुंहभोले भाई) के एक नई लड़ाई शुरू किए हुए हैं।

 

चंजतपांण्बवउ के साथ सीमा परिहार ने अपने जीवन के कई रहस्यों से पर्दा उठाया और खुलकर बात की। पूर्व दस्यू सुंदरी ने अपने पहले व दूसरे पति का नाम उजाकर किया। भाई राजकुमार परिहार के फर्जी एनकांउटर किस राजनीतिक दल ने करवाई पूरी दास्तां खुद परिहार ने बयां की। सीमा ने बताया कि 2006 में गाजियाबाद पुलिस ने मेरे निर्दोष भाई का इनकाउंटर कर दिया। मैंने कानून के जरिए भाई के हत्यारों को सजा दिलाने के लिए जुट गई। इसी के चलते गजियाबाद पुलिस ने मुझे अरेस्ट कर लिया और श्मशान घाट पर ले जाकर 65 जलती चिताओं के बीच खड़ा कर दिया और केस वापस लेने पर चिता में झोंक देने की धमकी दी। पर मैं उनकी धमकी से नहीं डरी और अफसर से कहा कि एक दशक तक जंगल में राज किया। पुलिस मेरी परछाई तक को नहीं छू पाई तो तूं क्या चीज है, जो मुझे मार सके।


घर से उठाकर पुलिस ने भाई को मारी गोली
सीमा परिहार ने बताया कि 2006 में तत्यकालीन सपा सरकार के दौरान स्थानीय नेताओं के कहने पर गाजियाबाद के एसएसपी ने भारी फोर्स के साथ उनके घर में दबिश दी और छोटे भाई रामकुमार परिहार को उठा ले गई। कुछ घंटे के बाद उसका इनकाउंटर कर दिया। हमने भाई की हत्या करने वाले पुलिसकर्मियों को सजा दिलाने के लिए तत्कालीन सीएम मुलायम सिंह, राज्यपाल और डीजीपी को पत्र लिखकर इनकाउंटर की जांच कराए जाने की मांग की, लेकिन किसी ने सुनवाई नहीं की। इसके चलते हमें न्यायालय की शरण में जाना पड़ा। औरैया कोर्ट में हमने पुलिस के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई। कई माह तक सुनवाई है। चश्मदीह गवाह को कोर्ट ने गवाही के दिन बुलवाया। वह गवाही देने के लिए निकला, तभी रास्ते पर उसका मर्डर हो गया। गवाही नहीं होने पर कोर्ट ने मामला हमारे खिलाफ दे दिया।


शव लेने के गई, कार समेत पुलिस उठा ले गई
सीमा ने बताया कि भाई के इनकाउंटर के बाद मैं अपने छोटी बहन, छोटे भाई और कार चालक के साथ गाजियाबाद पहुंची। एसएसपी से मिलकर अपने भाई का शव मांगा, पुलिस ने पहले देने से इंकार कर दिया। जब मैंने मीडिया में जाने की बात कही तो पुलिसवालों ने कहा कि तुम्हारे भाई का दाह संस्कार कर दिया गया है। हम सभी जैसे ही श्मशान घाट के लिए निकले, तभी दो सौ से ज्यादा पुलिसकर्मियों ने हमें घेर लिया और पकड़ कर जल रही चिताओं के पास ले गए। पुलिसवालों ने कहा इन्हीं में से तुम्हारे भाई की एक चिता है। अब बताओ तुम मुंह बंद रखोगी कि यहीं जलना चाहोगी। पुलिस मेरा भी इनकाउंटर का प्लॉन बना डाला। लेकिन मैं पुलिस के सामने झुकी नहीं और उनसे भिड़ गई। उस वक्त एसएसपी शर्मा थे, जिन्हें मैंने बुलाकर कहा कि कप्तान साहब बिल्ले बढ़ाने के चलते निर्दोष को मार डाला, पर सीमा का शिकार करने के लिए सौ जन्म लेने पड़ेंगे। इन बंदूकों से मुझे नहीं डराओ, डेढ़ दशक तक इन्हीं के साथ खेल-कूद कर बड़ी हुई हों। पुलिसवाले डर गए और फिर परिवार समेत हमें गाजियाबाद के बार्डर तक छोड़ आए।


सबसे लगा चुकी हूं फरियाद
सीमा परिहार ने बताया कि 2007 में यूपी में बसपा की सरकार बनी तो हमें न्याय की आस जगी। हमने सीएम मायावती के पास जाकर उन्हें भाई के इनकाउंटर की जांच कराए जाने की मांग की, लेकिन उन्होंने भी सुनवाई नहीं की। पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह के दर पर जाकर हाजिरी लगाई, पर वहां से भी हमें मायूषी हाथ लगी। 2014 में भाजपा की सरकार बनी तो हम पीएम मोदी को कई खत लिखकर भाई की हत्या करने वालों को सजा दिलाए जाने की मांग की। लेकिन पौने चार साल से पीएमओ की तरफ से आज तक जवाब नहीं मिला। सीमा ने कहा कि भाई को पुलिस ने फर्जी तरीके से मारा। इसका सबूत हमारे पास है। तत्कालीन सरकार ने भाई की मौत के बाद उसकी पत्नी व दो बच्चों को मुआवजा दिया था। अगर वह अपराधी था तो उसे सरकारी मदद क्यों दी गई।


5 फरवरी को सीएम योगी को भेजूंगी खत
सीमा परिहार ने कहा कि भाई के हत्यारे पुलिसकर्मियों को सजा दिलाने के लिए मैं यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ को 5 फरवरी को पत्र लिखकर भेजूंगी। अगर जवाब नहीं आता तो खुद लखनऊ जाकर उनसे मिलूंगी। फिर भी सुनवाई नहीं हुई तो पूर्व दस्युओं के साथ मिलकर आंदोलन करूंगी। सीमा ने बताया कि भाई की विधवा, दो बच्चों की जिंदगी नर्क बन गई है। अपने वर्दी में कुछ बिल्ले बढ़ाने के चलते एक निर्दोष को मार दिया गया। सीमा कहती हैं कि जब हम बीहड़ में थे, तब भी सभी दस्यू जंगल के कानूनों को अपनाते थे। कभी बेवजह किसी को नहीं परेशान करते थे। हमने बीहड़ में कई वर्ष गुजारे पर दस वक्त एक भी निर्दोष को गोली नहीं मारी। हमारे खिलाफ दर्जनों मुकदमे दर्ज हुए, जिनमें लगभग-लगभग सभी झूठे थे और इसी के कारण न्यायालय ने हमें बरी कर दिया।


लालाराम मेरा पति, उसके बेटे की हूं मां
सीमा परिहार ने एक राज से और परदा उठाया। सीमा ने बताया कि निर्भय गूर्जर के साथ उसने विवाह जरूर किया था, लेकिन डेढ़ साल के बाद हमारे और उसके रास्ते जुदा हो गए। फिर हमने लालराम के साथ सात फेरे लिए। कई साल उसके साथ रही। लालराव के बेटे की मां बनी और आज वह बारवीं का छात्र है। निर्भय गूर्जर के अंदर इंसानियत नहीं थी, इसी के कारएा उससे हमारे मतभेद हो गए। फिर हमने लालराम का हाथ थामा। लालाराम के इनकांटर के बाद हमने विधि-विधान से उसके शव का दाह संस्कार किया। साथ ही निर्भय की अस्थियों को गंगा में प्रवाह किया था। सीमा परिहार ने कहा कि 12 साल से लगातार मैं अपने भाई के लिए लड़ रही हूं और आगे भी यह जंग अहिंसा पूर्वक जारी रहेगी।

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो