scriptयहां स्वयं विराजमान हो गए भोलेनाथ, अजीब है इस ऐतिहासिक देवस्थान की दास्तान | untold story of fampous mahakaleshwar temple kanpur dehat | Patrika News

यहां स्वयं विराजमान हो गए भोलेनाथ, अजीब है इस ऐतिहासिक देवस्थान की दास्तान

locationकानपुरPublished: Jul 23, 2019 05:19:13 pm

Submitted by:

Arvind Kumar Verma

बताया जाता है कि यह स्वयं स्थापित मंदिर है। जिसका उल्लेख पुराणों में भी किया गया है।

mahakaleshwar

यहां स्वयं विराजमान हो गए भोलेनाथ, अजीब है इस ऐतिहासिक देवस्थान की दास्तान

अरविंद वर्मा

कानपुर देहात-सावन का पवित्र महीना चल रहा है। हर तरफ भगवान शिव की पूजा अर्चना हर्षोल्लास के साथ चल रही है। कई मंदिरों पर मेले लगे हैं और पूजन अर्चन का कार्य चल रहा है। भक्तों द्वारा कांवर को लेकर भारी तैयारियां देखने को मिल रही हैं। आपको बता दें कि कानपुर देहात में कई ऐसे ऐतिहासिक मंदिर हैं, जो अपने आप में इतिहास को समेटे हुए हैं। रसूलाबाद तहसील क्षेत्र के भीखदेव कहिंजरी में भगवान शंकर का महाकालेश्वर ऐसा मंदिर हैं जो अपने आप में एक अदभुत मंदिर है। बताया जाता है कि यह स्वयं स्थापित मंदिर है। जिसका उल्लेख पुराणों में भी किया गया है।
फिर ऐसे शिवलिंग स्थापित हो गया

स्थानीय लोग बताते हैं कि यहां किले पर रहने वाले एक राजा गंगा सिंह गौर का महल था। राजा के सिपाही बाणेश्वर शिव मंदिर बानीपारा के पास से बैलगाड़ी द्वारा आकर्षक शिवलिंग को लेकर जा रहे थे। जैसे ही उनकी बैलगाड़ी भीखदेव कहिंजरी के पास पहुंची तो बैलगाड़ी का पहिया टूट गया। इससे बैलगाड़ी आगे नही बढ़ सकी। इसके बाद राजा ने सिपाहियों को शिवलिंग हाथों से उठाकर लाने का आदेश दिया। सैनिकों ने भरसक प्रयास किया, लेकिन शिवलिंग वहां से टस से मस नहीं हुआ। जब शिवलिंग उस स्थान से हटा नहीं तो राजा के सिपाहियों ने शिवलिंग वहीं छोड़ दिया और वापस राजा के महल पहुंच गए। काफी वर्षों तक शिवलिंग भीखदेव के पास जंगलों में ऐसे ही रखा हुआ जमीन में गड़ गया।
ग्राम प्रधान ने कराया सुंदरीकरण

इसके बाद करीब 1954 के आसपास तत्कालीन ग्राम प्रधान ने शिवलिंग को देखा तो इसकी जानकारी की। इस पर उन्होंने शिवलिंग को वहीं स्थापित करा दिया। जिसके बाद निरंतर उस शिवलिंग की पूजा अर्चना होने लगी। धीरे-धीरे महाकालेश्वर मंदिर का सुन्दरीकरण हुआ। आज यह शिवस्थल दूर दराज में आस्था व विश्वास का प्रतीक बना हुआ है। यहां के लोगों का मानना है कि यह मंदिर बहुत प्राचीन है और आज भी रात्रि के समय में इस मंदिर में नाग और नागिन का जोड़ा आकर भगवान भोलेनाथ के शिवलिंग के आसपास भ्रमण करता है। लोग बताते हैं कि यह जोड़ा अक्सर सावन मास में निकलता है।
मंदिर के महंत बोले

मंदिर के पुजारी नरेश दीक्षित ने बताया कि इस मंदिर में मांगी कोई भी अरदास खाली नहीं जाती। मंदिर में दर्शन कर लेने मात्र से व्यक्ति को कभी अकाल मृत्यु नहीं आ सकती है। उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। सावन मास में मंदिर में भक्तों का भारी जमावड़ा देखने को मिलता है। महाकालेश्वर शिव मंदिर कहिंजरी में सावन मास में रुद्राभिषेक का कार्यक्रम होता है। जहां पर हजारों की संख्या में भक्तगण आते हैं।

ट्रेंडिंग वीडियो