सैफुउल्ला के बाद कमरज्जमा
इंटरनेशनल आंतकवादी संगठन आईएसआईएस के आंतकियों ने कानपुर में कई माह पहले दस्तक दे दी थी । इनका सहयोग प्रतिबंधित संगठन सिमी के गुर्गे कर रहे थे । कुछ दिन पहले एटीएस के हत्थे लगे संदिग्ध आतंकी जाजमऊ के तिवारीपुर निवासी फैजल और इमरान ने पूछताछ के दौरान कई खुलाशे किए थे। । पुखरायां के पास हुए इंदौर – पटना एक्सप्रेस, रुरा रेलवे स्टेशन के पास सियालदाह – अजमेर एक्सप्रेस पलटी जिसमें कई यात्री घायल हुए। मंधना में भी पटरी काटी गई। जबकि बिहार के मोतिहारी में पकड़े आंतकी मोती पासवान ने बताया था कि जाजमऊ क्षेत्र में आतंकी संगठन से जुड़े कुछ लोग रहते हैं । लखनऊ के ठाकुरंगज में एटीएस के साथ मुठभेड़ में मारा गया आईएसआईएस का आतकी कानपुर के जाजमऊ इलाके के केडीए कॉलोनी का रहने वाला था। यहीं के तिवारीपुर से दो संदिग्ध आंतकियों को भी पुलिस ने गिरफ्तार किया है। आतंकी सैफीउल्लाह आईएसआईएस के खुरासन माड्यूल का सदस्य था। इमरान और फैजल खां के पास से आईएसआईएस से जुड़े होने के कई सुबूत मिले थे। सैफुउल्ला के बाद कमरज्जमा के पकड़े जाने के बाद कानपुर का यह इलाका फिर से खूफिया एजेसियों की रडार पर आ गया है।
बड़ी घटना को अंजाम देने की थी सजिश
चेकेरी से पकड़े गए कमरज्जमा पाकिस्तान के आतंकी संगठन हिजबुल मुजाइद्दीन का अहम सदस्य था। पुलिस सूत्रों की मानें तो वो कानपुर से कश्मीर गया और वहां से बार्डर पार कर पाकिस्तान पहुंचा और आतंक की ट्रेनिंग लेकर शहर आ गया। एटीएस और अन्य खूफिया एजेंसियों की रडार पर कमरज्जमा चढ़ गया था और उसकी हर गतिविधि पर नजर रखी हुई थी। बुधवार की देररात लखनऊ एटीएस के हथियारों से लैस कमांडों ने उसके घर को चारो तरफ से घेर लिया और उसे धरदबोचा। हलांकि उसके पास से एटीएस को कौन से औजार य अन्य समाग्री मिली है इसकी जानकारी स्थानीय पुलिस को भी नहीं है। इतना ही नहीं एटीएस ने स्थानीय पुलिस को बिना सूचना दिए इस ऑपरेशन को अंजाम दिया। पुलिस सूत्र बताते हैं कि संदिग्ध आतंकी कमरज्जमा बड़ी वारदात को अंजाम देने के लिए आया था। एटीएस की एक टीम गुरूवार को भी जाजमऊ में देखी गई। इससे आशंका है कि एटीएस के निशाने पर और भी संदिग्ध हैं।
पहले भी पकड़े गए हैं हिजबुल के आतंकी
कानपुर में 29, 30 व 31 अक्तूबर, 1999 को सिमी द्वारा हलीम कालेज में विशाल इख्वान कांफ्रेंस आयोजित की गई थी। इस कांफ्रेंस में भी युवाओं को भड़काने के साथ-साथ उन्हें जिहाद के लिए उकसाया गया। कांफ्रेंस में तालिबान का प्रतिनिधि तथा हिजबुल मुजाहिद्दीन के सदस्यों भी शिरकत की थी। इस कांफ्रेंस के दौरान सिमी नेताओं ने खुलेआम अफगानिस्तान के ओसामा बिन लादेन को अपना आदर्श बताया था। इस कांफ्रेंस के बाद कानपुर से लगभग दो दर्जन युवा सिमी में शामिल हुए थे और उन्हें सरहद के उस पार भेजा गया था। 1998 में साबरमती रेलगाड़ी में हुए विस्फोट के सम्बन्ध मे कानपुर से सिमी के गुर्गे मुबीन को अरेस्ट किया था। इसकी निशानदेही पर खूफिया विभाग की टीम ने कानपुर में तीन कुख्यात आतंकवादियों को गिरफ्तार किया था। पुलिस को इनके कब्जे से राकेट लांचर, भारी मात्रा में विस्फोटक सामग्री, रायफलें, विदेशी पिस्तौलें, टाइम बम, विस्फोट में प्रयुक्त होने वाले इलेक्ट्रानिक उपकरण, हथगोले आदि बरामद हुए हैं। गिरफ्तार आतंकवादियों के “स्टूडेन्ट्स इस्लामिक मूवमेण्ट आफ इण्डिया’ (सिमी) एवं कश्मीरी आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिद्दीन से सम्बंध थे।
विस्फोट के बाद धरा गया मुल्ला मुमताज
कानपुर में आतंकवादी गतिविधियों का मुख्य सूत्रधार मुल्ला मुमताज है। वह पहले कानपुर में सिमी के बैनर व पोस्टर बनाता था। बाद में वह सिमी से ही जुड़ गया। सिमी के दो पूर्व पदाधिकारियों ने उसे तथा जुबैर को फैजाबा निवासी जमीर से मिलवाया। जमीर अयोध्या के प्रमुख संत महंत रामचन्द्रदास परमहंस पर हमले का मुख्य अभियुक्त है। इसके बाद मुमताज कश्मीर से कानपुर आए एक आतंकवादी नजीर उर्फ काला कश्मीरी के सम्पर्क में आया जिसने उसे 40 दिन का प्रशिक्षण लेने पाक अधिकृत कश्मीर में मुजफ्फराबाद के शिविर में भेज दिया। पुलिस ने सितंबर 1998 में ही कर्नलगंज नाला रोड निवासी मुल्ला मुमताज को गिरफ्तार किया। यह सिमी तथा हिजबुल दोनों से सम्बद्ध है। मुमताज के कहने पर आर्यनगर में कुकर विस्फोट किया गया था। मुमद्वारा दी गई जानकारी के आधार पर पुलिस ने 3 अगस्त को मुस्लिम बहुल क्षेत्र चमनगंज से सिमी से सक्रिय रूप से जुड़े तथा आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त वासिफ हैदर व मो. जुबैर को गिरफ्तार किया और उनसे भारी मात्रा में आग्नेयास्त्र व विस्फोटक सामग्री मिली। 6 अगस्त को हिजबुल मुजाहिद्दीन से जुड़े एक और आतंकवादी गुलाम जिलानी को गिरफ्तार किया।