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यूपी सरकार ने पूर्वी पाकिस्तानी 63 परिवारों को दिया आशियाना, कई वर्षों से झेल रहे रहे थे दंश

locationकानपुरPublished: Nov 22, 2021 11:26:06 pm

Submitted by:

Arvind Kumar Verma

मेरठ के हस्तिनापुर में बसे 63 बंगाली परिवारों को कानपुर देहात के रसूलाबाद में बसाने के लिए अपर मुख्य सचिव मनोज सिंह भैंसाया पहुंचे। प्रतिनिधि मंडल के साथ भैसाया में आवास व कृषि आवंटन के लिए चिह्नित भूमि देखकर लोगों से वार्ता की। उन्होंने कृषि के लिए आवंटित ऊसर भूमि को मनरेगा से उपजाऊ बनाए जाने की बात कही।

यूपी सरकार ने पूर्वी पाकिस्तानी 63 परिवारों को दिया आशियाना, कई वर्षों से झेल रहे रहे थे दंश

यूपी सरकार ने पूर्वी पाकिस्तानी 63 परिवारों को दिया आशियाना, कई वर्षों से झेल रहे रहे थे दंश

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
कानपुर. यूपी सरकार द्वारा वर्ष 1970 में पूर्वी पाकिस्तान यानी बंगाली हिंदू परिवारों को पुनर्वासित करने का फैसला लिया गया। इसी के चलते मेरठ के हस्तिनापुर में बसे 63 बंगाली परिवारों को कानपुर देहात के रसूलाबाद में बसाने के लिए अपर मुख्य सचिव ग्राम्य विकास विभाग मनोज कुमार सिंह रविवार को भैंसाया पहुंचे। प्रतिनिधि मंडल के साथ भैसाया में आवास व कृषि आवंटन के लिए चिह्नित भूमि देखकर लोगों से वार्ता की। उन्होंने कृषि के लिए आवंटित ऊसर भूमि को मनरेगा से उपजाऊ बनाए जाने की बात कही। उन्होंने स्थलीय निरीक्षण कर लेआउट एवं रास्ता परखी। इस दौरान उनके साथ यहां पाकिस्तान से भारत आए विस्थापित हिंदू बंगालियों का प्रतिनिधि मंडल भी मौजूद था। उन्होंने यहां 63 हिंदू परिवारों के आवास के लिए चिन्हित भूमि देखी।
बोले सीएम योगी ने बंगाली परिवारों के लिए लिया निर्णय

वहीं जिलाधिकारी जेपी सिंह ने अपर मुख्य सचिव को बताया कि भूमि के प्लाट बांट दिए गए हैं। कृषि भूमि भी चिह्नित कर दी गई है। अपर मुख्य सचिव ने लोगों से कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने पुनर्वास विभाग एवं एक्ट समाप्त होने के बावजूद कैबिनेट में निर्णय लेकर हिंदू बंगाली परिवारों को पुनर्वासित करने का निर्णय लिया है।
30 वर्ष की लड़ाई बाद इन परिवारों को मिला अवसर

उन्होंने कहा कि ऐसे ही लगभग साढ़े तीन सौ परिवारों को बदांयू में पुनर्वासित किया जा चुका है। जो मेरठ के हस्तिनापुर स्थित मदन सूत मिल बंद होने के बाद से आर्थिक तंगी का सामना कर रहे थे। उन्हीं परिवारों में बचे 63 परिवारों को 30 साल की लंबी लड़ाई के बाद यह सफलता मिली है। रसूलाबाद की सुरक्षित श्रेणी की 130 हेक्टेयर भूमि में से इन परिवारों को दो-दो एकड़ भूमि कृषि कार्य के लिए दी जाएगी। साथ ही इस भूमि को मनरेगा के तहत उपजाऊ बनाया जाएगा।
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