कानपुर से अलग कर बनाया गया था कानपुर देहात-
एक दौर था जब इस जिले की पहचान कानपुर नगर के नाम से थी, लेकिन 9 जून 1976 को कानपुर नगर का विभाजन करते हुए कानपुर देहात जनपद अलग कर दिया गया था। और फिर एक वर्ष एक माह 3 दिन का समय गुजरा ही था कि सरकार के फैसले पर फिर से 12 जुलाई 1977 को विभाजन रद्द करते हुए पुन: दोनों जनपद एक कर दिए गए, लेकिन एक बार फिर 25 अप्रैल 1981 को कानपुर देहात जनपद को अलग किया गया और फिर प्रशासनिक व्यवस्थाएं भी अलग कर दी गईं। इसके बाद माती में जिला मुख्यालय व अन्य विभागों के भवन निर्माण के बाद संचालन शुरू हो गया। शुरुआती दौर में कानपुर नगर से कानपुर देहात मुख्यालय के कार्य संपादित होते थे। बाद में धीरे-धीरे माती मुख्यालय में सभी भवनों का निर्माण हो गया। और फिर सारे काम यहीं से होने लगे।
एक दौर था जब इस जिले की पहचान कानपुर नगर के नाम से थी, लेकिन 9 जून 1976 को कानपुर नगर का विभाजन करते हुए कानपुर देहात जनपद अलग कर दिया गया था। और फिर एक वर्ष एक माह 3 दिन का समय गुजरा ही था कि सरकार के फैसले पर फिर से 12 जुलाई 1977 को विभाजन रद्द करते हुए पुन: दोनों जनपद एक कर दिए गए, लेकिन एक बार फिर 25 अप्रैल 1981 को कानपुर देहात जनपद को अलग किया गया और फिर प्रशासनिक व्यवस्थाएं भी अलग कर दी गईं। इसके बाद माती में जिला मुख्यालय व अन्य विभागों के भवन निर्माण के बाद संचालन शुरू हो गया। शुरुआती दौर में कानपुर नगर से कानपुर देहात मुख्यालय के कार्य संपादित होते थे। बाद में धीरे-धीरे माती मुख्यालय में सभी भवनों का निर्माण हो गया। और फिर सारे काम यहीं से होने लगे।
मायावती ने रखा था नाम रमाबाई नगर- जब सन् 2007 में बसपा की सरकार आयी तो तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने जनपद का नाम कानपुर देहात से बदलकर रमाबाई नगर कर दिया था। इस नाम को लेकर फिर जिले में हड़कंप मचा रहा। इस नाम को लेकर पूरे जनपद में चर्चाएं होने लगी। इन बीच चुनाव के दौरान समाजवादी पार्टी ने सरकार बनने पर नाम बदलने का वादा किया था। जिसके बाद वर्ष 2012 में अखिलेश यादव की सरकार बनते ही दोबारा रमाबाई नगर का नाम बदलकर कानपुर देहात कर दिया गया। उसी परिपाटी को लेकर अब भाजपा सरकार में भी ऐसे नाम विचार विमर्श हो रहा है, जो ऐतिहासिकता या धार्मिक पृष्ठभूमि वाला हो ताकि जनपद के लोग जिले के नाम पर गौरव महसूस कर सकें।
इनमें से हो सकता है जिले का कोई नाम- जिले का मूसानगर क्षेत्र हमेशा से चर्चा में रहा है क्योंकि यहां स्थित मां मुक्तेश्वरी मंदिर , जो त्रेता युग का इतिहास अपने में समेटे हुए हैं, में प्राचीनकाल में राजा बलि ने अश्वमेध यज्ञ किया था। इसका उल्लेख पुराणों में देखने को मिलता है। इस आधार पर यह जिला मुक्ताधाम नाम से जाना जा सकता है।
इसी मूसानगर में एक देवयानी सरोवर भी है, जिसे छोटी गया के नाम से जाना जाता है। पितृ पक्ष में लोग गया अपने पितरों को पिंडदान करने जाते हैं उसके पहले लोग यहां आकर पिंडदान करने आते हैं। उस समय यहां सैलाब उमड़ता है, और लोग सरोवर में स्नान भी करते हैं। जिसकी वजह से ये देवत्वधाम के नाम से जाना जा सकता है।
रसूलाबाद क्षेत्र के परसौरा गांव स्थित भगवान परशुराम की जन्मस्थली है, जहां परशुराम जयंती पर विशाल एवं भव्य मेला लगता है। बताया जाता है कि प्रदेश में एकमात्र परशुराम धाम होने के चलते दूर दराज से लोग यहां आते हैं। यहां प्राचीन मंदिर भी बना है। इसकी वजह से यह जिला परशुनगर के नाम से जाना जा सकता है।