कानपुर में सेना की कई बटालियन हैं और कैंट के लंबे क्षेत्रफल पर उनका ठिकाना है। यहां पर सेना के तमाम आधुनिक हथियार और गोला बारूद का भंडारण भी होता है। ऐसे में सेना की इंटेलीजेंस यहां पर बराबर निगरानी करती रहती है। सेना के इंटेलीजेंस विभाग के मुताबिक करीब एक सप्ताह पहले पता चला था कि सेना की गतिविधयों की रैकी करने के लिये कुछ पाकिस्तानी यहां पर आये हुये हैं। जिसके चलते इंटेलीजेंस के अधिकारी व कर्मचारी सतर्क होकर उसकी खोज में जुट गये। गुरूवार को सुबह कैंट क्षेत्र में इंटेलीजेंस को एक संदिग्ध दिखायी दिया और उसे रूकने का इशारा किया तो वह भागने लगा। जिसके बाद इंटेलीजेंस के कर्मचारियों ने उसे दौड़ाकर धर दबोच पुलिस के हवाले कर दिया। पूछताछ के दौरान आरोपी ने कई राज उगले। आरोपी ने बताया कि 32 लोग करीब एक माह पहले अटारी बार्डर पार कर भारत आये हैं और सभी अलग-अलग शहरों में हैं।
मूलरूप से फर्रूखाबाद के कायमगंज निवासी अरविन्द शाक्य पांच साल पहले घर से भाग गया था। वह कश्मीर में मजदूरी करने लगा। यहां से वह पाकिस्तान चला गया और अपना धर्म परिवर्तन कर अपना नाम एहसान खान उर्फ जफर रख लिया। पुलिस और आर्मी की जांच में पता चला है कि आरोपी बाघा बार्डर पर दो पकड़ा जा चुका है, लेकिन दिमागी हालत खराब बता छूट जाता रहा। पुलिस की पूछताछ में आरोपी ने कुछ अहम राज खोले हैं। आरोपी को सेना ने बार्डर सुरक्षा के सिकलाइट ट्रेनिंग सेंटर में घूमता हुआ पाया था और अरेस्ट कर लिया। कईदिनों की पूछताछ के बाद आरोपी सेना के जवानों को बीमारी का हवाला देकर छूट गया।
पुलिस सूत्रों की मानें तो आरोपी आईएसआई के लिए काम करता है और सेना की छावनी में रैकी के लिए आया था। वह पिछले कई दिनों से कैंट इलाके में दिखा। सेना ने उस पर नजर रखी और देरशाम पकड़ लिया। संदिग्ध के पास से कुछ दस्तावेज भी मिले हैं। जिसमे एक डायरी और एक लेटर है। कैंट थाना क्षेत्र के सर्किल आफिसर की माने तो पूछताछ जारी है। इसके पास से जो लेटर बरामद हुआ है उसमे उसका पता फैसलाबाद लाहौर पकिस्तान लिखा हुआ है जिसको लेकर आईबी के अधिकारी पूछताछ कर रहे है। एहसान खान के पास कुछ मुस्लिम लडिकयो की तस्वीरें भी बरामद हुयी है।