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विकास दुबे एनकाउंटर केस में पुलिस को राहत, रिटायर जस्टिस की कमेटी ने दी क्लीन चिट

locationकानपुरPublished: Apr 21, 2021 04:17:47 pm

Submitted by:

Neeraj Patel

सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित कमेटी को यूपी पुलिस के खिलाफ नहीं मिले कोई सबूत

Vikas Dubey encounter case

UP Police relieved in Vikas Dubey encounter case

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
कानपुर. जिले के चौबेपुर थाना क्षेत्र के बिकरू गांव के दुर्दांत अपराधी विकास दुबे और उसके गैंग के साथियों के एनकाउंटर में जांच कमेटी ने यूपी पुलिस की टीम को क्लीन चिट दे दी है। न्यायिक जांच में इस मुठभेड़ को सही माना गया है। विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद सुप्रीम कोर्ट द्वारा गठित रिटायर्ड जस्टिस बीएस चौहान कमेटी ने कई पुलिसकर्मियों से पूछताछ की, लेकिन उनको एक भी पुख्ता सबूत नहीं मिले, जिससे यह साबित हो सके कि एनकाउंटर फर्जी था। साक्ष्यों के अभाव में विकास दुबे एनकाउंटर मामले में यूपी पुलिस को क्लीन चिट दे दी। रिटायर्ड जस्टिस बीएस चौहान ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि यूपी पुलिस के खिलाफ कोई सबूत नही मिले हैं।

विकास दुबे एनकाउंटर केस की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय कमेटी की गठित की थी। सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश बीएस चौहान और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश शशिकांत अग्रवाल और पूर्व पुलिस महानिदेशक केएल गुप्ता ने करीब आठ महीने की जांच के बाद सोमवार को उत्तर प्रदेश सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। अब इस रिपोर्ट को सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया जाएगा। सुप्रीम कोर्ट में इस एनकाउंटर को लेकर छह जनहित याचिकाएं दायर की गईं। जिनको बाद में एक ही साथ सुना गया और सुप्रीम कोर्ट ने जांच आयोग का गठन किया।

न्यायमूर्ति चौहान ने आयोग की अपनी 130-पृष्ठों की जांच रिपोर्ट में यह दावा किया है कि जांच के दौरान दल ने मुठभेड़ स्थल का निरीक्षण करने के साथ ही बिकरू गांव का भी दौरा किया। मुठभेड़ करने वाली पुलिस टीम के सदस्यों के बयान लेने का प्रयास करने के साथ मौके पर मौजूद लोगों तथा मीडिया से भी बात की। जांच कमेटी ने विकास दुबे की पत्नी, रिश्तेदारों और गांव के लोगों को भी बयान के लिए बुलाया, लेकिन कोई भी आगे नहीं आया।

मामले की जांच के लिए हुआ था एसआइटी का गठन

इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी इस केस की जांच के लिए एसआइटी का गठन किया था। जिसने अपनी रिपोर्ट में 50 से अधिक पुलिसकर्मियों को विकास दुबे गैंग के साथ लगातार सम्पर्क में रहने का दोषी माना था। अपर मुख्य सचिव संजय भूसरेड्डी की अध्यक्षता वाली एसआईटी और इसमें अतिरिक्त डीजी हरि राम शर्मा और डीआईजी रविंदर गौड़ शामिल थे। इस एसआइटी ने विकास दुबे के साथ सम्पर्क में लगातार रहने वाले पुलिस तथा तहसील कर्मियों के खिलाफ जांच की सिफारिश की है। एसआईटी ने बीते नवंबर में दी गई 3,500 पेज की अपनी रिपोर्ट में तत्कालीन डीआईजी कानपुर अनंत देव तिवारी को इस गिरोह के साथ सांठगांठ के लिए दोषी ठहराया था, जिसके बाद तिवारी को निलंबित कर दिया गया था।

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