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भ्रष्टाचार से आहत होकर उठा ली किताब, 40 लाख की नौकरी छोड़ बनें आईएएस

locationकानपुरPublished: Apr 07, 2019 05:24:34 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

पासपोर्ट के दौरान सरकारी विभाग के काटनें पड़े थे चक्कर, इसी के बाद नौकरी में नहीं लगा मन, कंपनी के बाॅस को रिजाइन लेटर देकर लौट आए शहर और प्रथम प्रयास में हुए पास।

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भ्रष्टाचार से आहत होकर उठा ली किताब, 40 लाख की नौकरी छोड़ बनें आईएएस

कानपुर। संघ लोक सेवा आयोग परीक्षा के नतीजों में कानपुर के होनहारों एक बार फिर पूरे देश में अपनी चमक बिखेरी। इन्हीं में से एक शास्त्री नगर निवासी शैलेष अवस्थी के बड़े बेटे शिवांश हैं, जिन्होंने पहले प्रयास में सफलता हासिल की है। आईआईटी कानपुर से ऐरोस्पेस इंजिनियरिंग की पढ़ाई करनें वाले मेधा ने बताया कि उन्हें जापान की मित्शुबीशी कंपनी में 40 लाख रुपये सालाना के पैकेज पर जाॅब मिल गई। पर पोसपोर्ट बनवाने के दौरान हमें भ्रष्ट सरकारी सिस्सट से रूबरू होने का मौका मिला। पिता के चलते पासपोर्ट तो बन गया, लेकिन यह घटना हमारे दिमाग में बैठ गई। इसके बाद ही तय कर लिया कि अब सिस्टम के जाकर उसे बदलेंगे और हमारी मेहतन रंग लाई।

तीन साल की जाॅब
शास्त्री नगर के रहने वाले शिवांश शुरू से ही मेधावी रहे हैं। हाईस्कूल में 95 व इंटर में 92 फीसदी अंक हासिल करने वाले शिवांश ने आईआईटी जेईई में भी पहले ही प्रयास में नेशनल लेवल पर 1765वीं रैंक पाई थी। आईआईटी कानपुर से साल 2014 में एयरो स्पेस से बीटेक करने के बाद बाद उनका कैंपस सेलेक्शन जापान की मल्टीनेशनल कंपनी मित्सबुशी में हो गया। कंपनी ने उन्हें 40 लाख रुपए का पैकेज ऑफर किया। तीन साल तक जापान में जॉब करने के बाद देश के लिए कुछ करने की इच्छा लेकर शिवांश कानपुर वापस आ गए और सिविल परीक्षा की तैयारी शुरू कर दी।

गरीब बुला रहे हैं सर
शिवांश बताते हैं कि जापान में पैसा था और अच्छी जिंदगी कट रही थी, पर पासपोर्ट वाली घटना हर वक्त हमें सोनें नहीं देती थी। इसी के चलते बाॅस को रिजाइन लेटर थमा दिया। बाॅस ने इसका कारण पूछा तो बताया कि सर गरीब बुला रहे हैं और अब बचा जीवन उनके उत्थान और भ्रष्टाचार के खात्में के लिए लगाना है। शिवांश बताते हैं हमें 14 मार्च को इंटरव्यू के दौरान भारत के चीन व जापान से रिश्तों पर एक्सपर्ट ने सवाल दागे और पूछा कि इतनी अच्छी जॉब छोड़कर आईएएस क्यों बनना चाहते हो, जिस पर हमने जवाब दिया कि देश के बेसिक एजूकेशन सिस्टम के अलावा सरकारी तंत्र को बेहतर करना चाहता हूं। रिजल्ट आया और हमारा सपना सकार हो गया।

माता-पिता का अहम रोल
शिवांश अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता को देते हैं। उन्होंने बताया कि जब वह पढ़ाई करते थे तो उनकी मां अपर्णा अवस्थी पूरी रात ठीक से सोती नहीं थी कि कहीं उन्हें किसी चीज की जरूरत न पड़ जाए। पिता हर जरूरत को पूरा करते थे। वो जर्नलिस्ट हैं और अक्सर घर से बाहर रहते हैं। उन्होंने अपने जीवन में कभी भ्रष्टाचार से समझौता नहीं किया। उनके इन्हीं वसूलों के हम दिवाने थे। बताते हैं, वह रोजाना न्यूज पेपर जरूर पढ़ते हैं इससे काफी हेल्प मिली। शिवांश स्टूडेंट्स को कोई खास टिप्स नहीं देना चाहते, उनके हिसाब से टाइम टेबल बनाकर पढ़ना और उसे स्ट्रिक्टली फॉलो करना जरूरी है।

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