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कांग्रेस ने वंदना मिश्रा को थमाया टिकट, भाजपा के अंदर मची उथल-पुथल

locationकानपुरPublished: Nov 03, 2017 08:23:49 pm

Submitted by:

shatrughan gupta

त्तर प्रदेश के निकाय चुनाव की डुगडुगी बज चुकी है। राजनीतिक दल उम्मीदारों को टिकट देकर चुनावी अखाड़े में उतार रहे हैं।

Vandana Mishra

Vandana Mishra

कानपुर. उत्तर प्रदेश के निकाय चुनाव की डुगडुगी बज चुकी है। राजनीतिक दल उम्मीदारों को टिकट देकर चुनावी अखाड़े में उतार रहे हैं। गुरूवार को समाजवादी पार्टी ने कानपुर से मेयर पद के लिए माया गुप्ता को साइकिल का सिंबल थमाया तो वहीं शुक्रवार को कांग्रेस ने कद्दावर नेता आलोक मिश्रा की पत्नी वंदना मिश्रा के नाम का एलान कर भाजपा के अंदर खलखबी मचा दी है। वंदना के चुनाव में उतरने से यहां का संग्राम अब जबरदस्त होने जा रहा है। आलोक मिश्रा ने बताया कि शहर से सत्तादल के महापौर होने के बावजूद यहां का विकास नहीं हुआ। 2017 में जनता बदलाव कर कांग्रेस को जिताने जा रही है।
14 महिलाओं ने की थी दावेदारी

पिछले पंद्रह दिनों से कांग्रेस के अंदर मेयर पद के माथा-पच्ची चल रही थी, लेकिन आज वंदना मिश्रा के नाम का एलान कर दिया गया। मेयर पर के लिए कुल 14 महिला दावेदारों ने आवेदन किया था। गुरूवार कोर कमेटी स्टेटस क्लब में बैठक बुलाई। इस कमेटी में पूर्व सांसद राजाराम पाल, पूर्व विधायक नेकचंद्र पांडेय पर्वू विधायक हाफिज उमर व पूर्व विधायक संजीव दरियावदी सहित अन्य कांग्रेसियों के साथ पीसीसी के सीनियर पदाधिकारी शामिल हुए। इस दौरान सभी 14 दावेदारों में से सबके नाम पर विचार किया गया। पूर्व शहर अध्यक्ष निजामुद्दीन ने वंदना मिश्रा के नाम पर प्रस्ताव किया, जिस पर सबने हामी भर दी।
कौन हैं वंदना मिश्रा

वंदना मिश्रा डीपीएस स्कूल के प्रबंधक व कांग्रेस के कद्दावर नेता आलोक मिश्रा की पत्नी है। आलोक मिश्रा राजनीति के साथ स्कूल का काम देखते हैं, वहीं वंदना हाउस व्वाइफ हैं। आलोक मिश्रा 2007 का विधानसभा चुनाव कल्याणपुर से लड़ा था, जहां इन्हें भाजपा की प्रेमलता कटियार के हाथों हार उठानी पड़ी। आलोक मिश्रा बताते हैं कि वंदना घर के काम-काज के अलावा समाजिक संगठनों से भी जुड़ी हैं। आलोक मिश्रा ने बताया कि कांग्रेसी 2017 का निकाय चुनाव जीतकर 2019 लोकसभा में भाजपा को उखाड़ फेकेंगे।
भाजपा को मिल सकती है कड़ी टक्कर

व्ंदना मिश्रा के चुनाव में उतरने से भाजपा की राह अब कठिन हो गई है। आलोक मिश्रा ब्राम्हण चेहरा होने के साथ अन्य समाज के मतदाताओं में अच्छी पकड़ रखते हैं। वंदना के आने से कानपुर का करीब साढ़े तीन लाख मुस्लिम मतदाता भी भाजपा की राह कठिन बना सकता है। वहीं सपा से माया गुप्ता के आने से वैश्य मतदाता भी भाजपा के बजाय स्वजातीय कैंडीडेट को तरजीब दे सकता है। जानकारों का मानना है कि वंदना और माया गुप्ता के आने के बाद कानपुर के मेयर की कुर्सी की जंग तगड़ी हो गई है। ऊंट किस ओर करवट बदलेगा ये तय मुस्लिम मतदाता ही करेगा।
दो खेमे में बंटी थी कांग्रेस

टिकट को लेकर कांग्रेस दो खेमों में बटी थी शहर और ग्रामीण इकाईयों में टिकट को लेकर जमकर विरोध हुआ था। राजराम पाल के कद को कम कर श्रीप्रकाश जायसवाल के खेमे को ताकत दी गई थी। ग्रामीण की जिम्मेदारी संजीव दरियावादी को सौंपी गई थी। इसी के बाद राजाराम पाल गुट हरकत में आया और वंदना को टिकट दिलाए जाने की पैरोकारी कर दी। जानकारों की मानें तो पूर्व मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल सहित अन्य कांग्रेसी वंदना मिश्रा के नाम पर अंड़गा लगाए हुए थे। इसी के चलते आलोक मिश्रा के बसपा से टिकट मांगे जाने की बातें भी निकल कर आईं।
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