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लूट खसोट करने वालों से हटकर हैं कानपुर के हिमांशु और दिलशाद, शव वाहन चलाकर कर रहे ऐसे मदद

locationकानपुरPublished: May 14, 2021 08:29:30 pm

Submitted by:

Arvind Kumar Verma

ऐसे बुरे वक्त में दिलशाद और हिमांशु के इस सराहनीय कार्य की लोग जमकर तारीफ कर रहे हैं।

लूट खसोट करने वालों से हटकर हैं कानपुर के हिमांशु और दिलशाद, शव वाहन चलाकर कर रहे ऐसे मदद

लूट खसोट करने वालों से हटकर हैं कानपुर के हिमांशु और दिलशाद, शव वाहन चलाकर कर रहे ऐसे मदद

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
कानपुर. कोरोना आपदाकाल (Corona Crisis) में जहां कुछ लोग तीमारदारों से मरीजों की सांसों का सौदा करने में जुटे हैं। यहां तक कि शवों को ले जाने में धन उगाही करने में मशगूल हैं। वहीं कानपुर के दो ऐसे नवयुवक जो इस विपदा की घड़ी में लोगों के लिए स्वयं मददगार बन रहे हैं। कानपुर में शव वाहन चलाने वाले हिमांशु और दिलशाद ईमानदारी से सेवाकार्य में लगे हैं। दोनो अपने वेतन से ही गुजारा करते हुए मृतक परिजनों से कोई अतिरिक्त चार्ज नहीं लेते हैं। ऐसे बुरे वक्त में दिलशाद और हिमांशु के इस सराहनीय कार्य की लोग जमकर तारीफ कर रहे हैं। दोनों के मुताबिक ऐसी विपत्तिकाल में जहां लोग सबकुछ गंवा चुके हैं उनकी मदद से बढ़कर कोई दूसरा कार्य नही है।
दरअसल कानपुर विश्व बैंक बर्रा में रहने वाले हिमांशु भगवान परशुराम महासभा की ओर से संचालित शव वाहन चलाते हैं। उन्हें दस हजार रुपए प्रतिमाह सेलरी मिलती है, जिसमें वह खुश हैं। पिछले दो वर्षों से वह शव वाहन चलाते हैं। उन्होंने 22 अप्रैल से मई के दूसरे सप्ताह तक हर दिन दो से चार शवों को भैरोघाट, सिद्घनाथ घाट, बिठूर स्वर्गाश्रम, ड्योटी घाट और गंगाघाट शुक्लागंज पहुंचाया। किसी भी घाट पर जाने के लिए 1400 रुपये फिक्स हैं। इसी में डीजल, मेंटेनेंस और एक चक्कर के पांच सौ रुपये होते हैं। उनके मुताबिक ऐसे मुश्किल घड़ी में लोगों का फायदा उठाना बहुत गलत है। महासभा के अध्यक्ष भूपेश अवस्थी ने बताया कि हिमांशु को जब भी कोई रुपए देते हैं तो वह मना कर देते हैं।
कुछ ऐसा ही कार्य दिलशाद सिद्दीकी करते हैं, जो कानपुर ग्रामीण उद्योग व्यापार मंडल की ओर से संचालित शव वाहन चलाते हैं। दिलशाद कल्याणपुर के साहब नगर में रहते हैं। उनका मानना है कि दुखों का पहाड़ कभी भी किसी के ऊपर टूट सकता है। ऐसे में लोगों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। ऐसे हालातों में किसी का गलत फायदा नहीं उठाना चाहिए। यह निहायत ही गलत है। इस तरह की कमाई सुख देने वाली नही होती है। मेहनत की कमाई से ही इंसान को खुशी मिल सकती है। व्यापार मंडल के अध्यक्ष संदीप पांडेय का कहना है कि दिलशाद जो लोगों की मदद कर रहे हैं, वह सराहनीय है।
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