scriptजन्मभूमि को हिंदुओं के हवाले करने को मुस्लिम बिरादरी तैयार | vhp chanpat rai exclusive interview on ram mandir and article 370 | Patrika News

जन्मभूमि को हिंदुओं के हवाले करने को मुस्लिम बिरादरी तैयार

locationकानपुरPublished: Jun 09, 2019 07:36:42 pm

विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय से सीधी बात…. पांच वर्ष में तैयार होगा अयोध्या में भव्य रामलला मंदिर, कमजोर हुआ लव जेहाद और धर्मांतरण, कश्मीर का विशेष दर्जा समाप्त होना जरूरी

vhp champat rai

जन्मभूमि को हिंदुओं के हवाले करने को मुस्लिम बिरादरी तैयार

आलोक पाण्डेय

कानपुर . देश की नौजवान पीढ़ी को राष्ट्रहित के नए मोर्चे के लिए मुस्तैद करना है। जनसंख्या असंतुलन और धर्मांतरण के कारणों को दूर करना लक्ष्य है। साथ ही सामाजिक विषमताओं और लव जेहाद जैसे विषयों पर निरंतर जागरुकता अभियान जारी रखना है। इन्हीं विषयों के साथ विश्व हिंदू परिषद ने देश के विभिन्न स्थानों पर दस दिवसीय प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन किया है। इसी तारतम्य में पूर्वी उत्तर प्रदेश यानी लखनऊ क्षेत्र का शिविर कानपुर के लालबंगला में डिफेंस कालोनी में विभिन्न जनपदों से तरुणाई हिंदू और हिंदुत्व को समझने के लिए पहुंची है। शिविर में विहिप के केंद्रीय उपाध्यक्ष चंपत राय ने विशेष मुलाकात में बताया कि अयोध्या में रामलला जन्मभूमि मंदिर निर्माण में अब देर नहीं है। राष्ट्र की प्रगति के लिए मुस्लिम बिरादरी भी दावा छोडऩे को सहमत है। अब नई जंग का इरादा है। लक्ष्य है जनसंख्या और सामाजिक असंतुलन को दूर करना। पेश हैं वार्ता के प्रमुख अंश :-
सवाल – राममंदिर मुद्दे की गूंज कमजोर हुई है, संघ के साथ-साथ विहिप भी शांत है ?

चंपत राय – ऐसा नहीं है। बीते 490 वर्ष से राममंदिर का मुद्दा कभी नेपथ्य में नहीं रहा है। यह जरूर है कि वर्ष 1984 से मंदिर आंदोलन में कुछ तेजी आई है। इतिहास साक्षी है कि वर्ष 1949 से हिंदू समाज ने अपने आराध्य के जन्मस्थल पर अधिकार है, जबकि वर्ष 1934 से आंशिक अधिकार है। नब्बे के दशक में मंदिर आंदोलन की आंधी के बाद समाज को लगता है कि आए दिन आंदोलन करने से मंदिर निर्माण के विषय में तेजी आएगी, जबकि मौजूदा समय में स्थितियां अनुकूल हैं, इसलिए आंदोलन की ज्यादा जरूरत नहीं। मंदिर निर्माण में विलंब का कारण कानूनी पेंच हैं। अदालत में मामला स्पष्ट है, लेकिन फैसला देने से पहले न्यायाधीशों की बेंच को इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले से जुड़े 8000 पेज, 14 हजार पेज की गवाही, 257 दस्तावेज, कुल मिलाकर करीब 25 हजार पेजों पर निगाह डालनी है। यह तनिक कठिन है, इसीलिए दोनों पक्षों को वार्ता से समाधान निकालने का सुझाव दिया गया। अब यह रास्ता भी बंद हो चुका है। जल्द ही अदालत का फैसला आएगा और मंदिर निर्माण शुरू होगा। खास बात यह है कि मुस्लिम समुदाय के अधिकांश पढ़े-लिखे, कानूनी जानकार और समझदार लोगों ने दावा छोडक़र जन्मभूमि को हिंदुओं को सौंपने का फैसला किया है। वजह है कि उन्हें भी अब यकीन है कि एक आक्रमणकारी ने अवैध तरीके से मंदिर को तोडक़र उक्त स्थान को हड़पा था। इसके अतिरिक्त इस्लाम के नियमों के अनुसार वहां नमाज पढऩा उचित नहीं है।
सवाल – भाजपा की पूर्ण बहुमत सरकारों के बावजूद मंदिर को लेकर कानून क्यों नहीं आया

चंपत राय – ऐसा नहीं है। मोदी सरकार के पिछले पांच वर्ष में जन्मभूमि का मुद्दा सुप्रीमकोर्ट में पीठ के सामने पहुंच गया है। पूर्व की सरकारों ने फाइल को दबाने में ताकत लगाई थी। मोदी सरकार की पहल के कारण वर्ष 2017 से फाइल खुल गई है। फिलहाल कानूनी औपचारिकताएं पूरी हो चुकी हैं, जल्द ही अंतिम फैसला आने की उम्मीद है। इसके अतिरिक्त यूपी की सरकार के मुखिया योगी आदित्यनाथ स्वयं और उनके गुरु महंत अवैधनाथ और अवैधनाथ के गुरु महंत दिग्विजयनाथ भी मंदिर आंदोलन के प्रणेता रहे हैं। ऐसे में विश्वास करना चाहिए कि योगी आदित्यनाथ भी अयोध्या और रामलला जन्मभूमि मंदिर के लिए ठोस कदम अवश्य उठाएंगे। विहिप को पूर्ण यकीन है कि मोदी-योगी सरकार के कार्यकाल में देश और अयोध्या के माथे से गुलामी का कलंक साफ होगा।

सवाल – क्या राष्ट्रवाद की नई परिभाषा धारा 370 और 35-ए से तय होगी ?

चंपत राय – राष्ट्रवाद का अर्थ केवल राष्ट्र के हित का विचार होता है। जन्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाली धारा 370 तथा 35-ए तो देश के भूगोल से जुड़़ा विषय है, साथ ही कश्मीरी पंडित समाज के हितों से जुड़ा विषय है। यह सर्वविदित है कि धारा 370 से राष्ट्रहित को चोट पहुंचती है। इसी के साथ 35-ए नागरिकों में भेदभाव पैदा करती है। देश का प्रत्येक नागरिक जम्मू-कश्मीर का नागरिक भी है। जम्मू-कश्मीर में 40 साल पुराने हिंदू नागरिक लोकसभा के लिए वोट करते हैं, लेकिन विधानसभा के लिए नहीं। आखिर ऐसा भेदभाद क्यों ? वहां की विधानसभा छह साल के लिए क्यों गठित होती है। एक देश में एक कानून होना चाहिए। इसीलिए अब वक्त है कि धारा 370 और 35-ए को समाप्त किया जाए।

सवाल – जनसंख्या असंतुलन को दूर करने के लिए मताधिकार वंचित करना उचित है?

चंपत राय – लोकतंत्र में प्रत्येक हाथ की कीमत है। वर्ष 1947 में हिंदुस्तान में देश का विभाजन हिंदू-मुस्लिम के आधार पर हुआ है। मुस्लिम बाहुल्य इलाकों ने हिंदुस्तान से अलग रहने पर रजामंदी दिखाई। देश को यह जख्म याद रखना होगा। धार्मिक आधार पर जनसंख्या की वृद्दि नहीं होनी चाहिए। जनसंख्या नियंत्रण के कानून सिर्फ हिंदू समुदाय पर नहीं लागू होने चाहिए। अल्लाह की देन की दुहाई देकर बचने का रास्ता बंद होना चाहिए, अन्यथा हिंदू भी भगवान का आशीर्वाद बताना शुरू कर देगा। सरकारें अक्सर ही आबादी बढऩे पर संसाधन कम होने की दुहाई देती हैं। गरीबी, अशिक्षा और बेरोजगारी का हवाला दिया जाता है। ऐसी समस्याओं के लिए हिंदू बिरादरी जिम्मेदार नहीं है। जो तबका बेहिसाब आबादी बढ़ाने में जुटा है, उसे रोकना होगा। अन्यथा यह स्थिति देश के एक और विभाजन की नीव रखेगा।
सवाल – सरकार बदलने के बाद लव जेहाद और धर्मांतरण के खिलाफ हल्ला ठंडा है ?

चंपत राय – ऐसा तो बिल्कुल नहीं। सच यह है कि विहिप तथा अन्य सहयोगी संगठनों के जन जागरण के कारण समाज जागरूक हुआ है। इसीलिए लव जेहाद कमजोर हुआ है। विहिप का यह स्पष्ट मत है कि धर्मांतरण नहीं होना चाहिए। हिंदू समाज को विचार करना होगा कि आखिर ऐसी कौन समस्याएं हैं, जिसके कारण हिंदू परिवार धर्मांतरण को तैयार हो जाते हैं। धर्मांतरण के लिए मजबूर करने वाली समस्याओं को हिंदू समाज से समाप्त करना जरूरी है। अलबत्ता अन्य समुदायों को यह समझाना भी जरूरी है कि उनके पूर्वज हिंदू ही थे। भले ही उपासना के तौर-तरीके नहीं बदलें, लेकिन पूर्वजों का इतिहास बताकर राष्ट्रवाद से जोडऩा संभव है। कुल मिलाकर अब बात-बात पर सडक़ पर उतरने और धरना-प्रदर्शन करने का वक्त नहीं है।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो