जीने का एक ही मकसद, बच्चें बनें काबिल ऋचा दुबे ने कहा कि मेरी जिंदगी का सिर्फ एक ही मकसद है कि अपने बच्चों को अपराध की दुनिया से अलग रखना है। मैंने इस चीज को 50 फीसदी साबित भी कर दिया है। मेरा बड़ा बेटा मेडिकल तीन साल क्लीयर कर चुका है। छोटे बेटे ने 91.4 फीसदी मार्क्स के साथ हाई स्कूल पास किया। लेग कहते थे कि बदमाश की औलाद बदमाश ही बनती है। लेकिन मेरे जीने का एक ही मकसद है कि मेरे बच्चे पढ़ें और काबिल बनें और दुनिया को ये दिखाएं कि बदमाश की औलाद कभी बदमाश नहीं बनती।
समझ सकती हूं विधवाओं का दर्द विकास दुबे ने आठ पुलिसकर्मियों की हत्या कर उनकी पत्नियों का सुहाग उजाड़ा है। विधवाओं के दर्द से आह्त ऋचा ने कहा कि पुलिसकर्मियों की पत्नियों के साथ मेरी संवेदनाएं है. विकास ने गलत काम किया। विकास के कृत्य पर माफी मांगना चाहती हूं। पुलिसकर्मियों की पत्नियां विधवा होने के लिए नहीं थीं लेकिन विकास की जिद ने ऐसा कर दिया।
सामने होता तो अपने हाथ से गोली मार देती विकास के आपराधिक कारनामों से परेशान ऋचा ने अपना गुस्सा जाहिर करते हुए कहा कि एस समय ऐसा भी था जब उसे विकास को मारने का ख्याल आया था। उसने बताया कि दो जुलाई की रात दो बजे रात को विकास का फोन आया था। उसने कहा कि बच्चों को लेकर घर से चली जाओ। इस पर कहासुनी हुई। ऋचा ने कहा कि उसका घर बर्बाद कर दिया। विकास ने गालियां दी। गुस्से में ऋचा ने मोबाइल पटक दिया। इसके बाद कोई संपर्क नहीं हुआ।
दोनों बच्चे सदमे में ऋचा का बड़ा बेटा एमबीबीएस की तीन साल की पढ़ाई पूरा कर चुका है। वहीं छोटे बेटे ने हाई स्कूल की परीक्षा 91 प्रतिशत अंक के साथ पास किया है। ऋचा ने कहा कि वह अपने दोनों बच्चों के भविष्य के लिए विकास से दूर रहती थी। सिर्फ उससे मिलने के लिए जाती थी। विकास के पुलिस पर हमले के बाद से पूरा परिवार विक्षिप्त सा हो गया था। उसने बताया कि जब से पुलिस ने विकास को पकड़ा है और जब से उसके सारे कारनामे बाहर आए हैं तब से उसके दोनों बच्चे सदमे में हैं। आज भी किसी से बात नहीं करता है। गुमशुम और सहमा हुआ है। बड़ा बेटा भी हमेशा खोया-खोया रहता है।