निगेटिव के बाद मिल रहे पॉजिटिव
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक अब ऐसे केस मिल रहे हैं, जिनमें पॉजिटिव के संपर्क में आने के आठ से 10 दिन बाद जांच कराई गई तो दूसरा व्यक्ति पॉजिटिव मिला है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक क्वारंटीन सेंटरों पर कई संदिग्धों के जांच सैंपल आठ दिन बाद पॉजिटिव मिले हैं। ऐसे मरीज अंडर ऑब्जर्वेशन में रखे गए थे। रैपिड जांच कराई गई तो संक्रमण का पता चला। हालांकि इनमें कुछ को छोडक़र अधिकतर मरीजों में किसी तरह के लक्षण भी नहीं थे। एक एसीएमओ का कहना है कि अभी तक पॉजिटिव के निकट सम्बंधियों की फौरन जांच में कोरोना का पता चल जाता था मगर अब दो जांचें करानी पड़ रही हैं।
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक अब ऐसे केस मिल रहे हैं, जिनमें पॉजिटिव के संपर्क में आने के आठ से 10 दिन बाद जांच कराई गई तो दूसरा व्यक्ति पॉजिटिव मिला है। स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक क्वारंटीन सेंटरों पर कई संदिग्धों के जांच सैंपल आठ दिन बाद पॉजिटिव मिले हैं। ऐसे मरीज अंडर ऑब्जर्वेशन में रखे गए थे। रैपिड जांच कराई गई तो संक्रमण का पता चला। हालांकि इनमें कुछ को छोडक़र अधिकतर मरीजों में किसी तरह के लक्षण भी नहीं थे। एक एसीएमओ का कहना है कि अभी तक पॉजिटिव के निकट सम्बंधियों की फौरन जांच में कोरोना का पता चल जाता था मगर अब दो जांचें करानी पड़ रही हैं।
देर से सक्रिय हो रहा वायरस
संक्रमित व्यक्ति में पहली जांच जो दो से तीन दिन के अंदर होती है वह आमतौर पर निगेटिव आ जाती है, मगर छह दिन बाद क्रॉस जांच में मरीज संक्रमित मिलता है। माइक्रोबायोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. एहसान मलिक का कहना है कि वैसे तीन से पांच दिन में मरीजों में वायरस सक्रिय हो जाता है। डॉक्टर के मुताबिक एक तो वैसे ही कोरोना के 90 फीसदी मामले बगैर लक्षणों के हैं। खासतौर से ऐसे मरीज जो डायबिटीज या किडनी रोग पीडि़त हैं उनमें 10 दिन तक संक्रमण छिपा रहे तो स्थिति खतरनाक हो सकती है। 50 फीसदी संक्रमितों में देखा जा रहा है कि पांच दिन से अधिक समय सक्रिय होने में लग रहा है।
संक्रमित व्यक्ति में पहली जांच जो दो से तीन दिन के अंदर होती है वह आमतौर पर निगेटिव आ जाती है, मगर छह दिन बाद क्रॉस जांच में मरीज संक्रमित मिलता है। माइक्रोबायोलॉजी विशेषज्ञ डॉ. एहसान मलिक का कहना है कि वैसे तीन से पांच दिन में मरीजों में वायरस सक्रिय हो जाता है। डॉक्टर के मुताबिक एक तो वैसे ही कोरोना के 90 फीसदी मामले बगैर लक्षणों के हैं। खासतौर से ऐसे मरीज जो डायबिटीज या किडनी रोग पीडि़त हैं उनमें 10 दिन तक संक्रमण छिपा रहे तो स्थिति खतरनाक हो सकती है। 50 फीसदी संक्रमितों में देखा जा रहा है कि पांच दिन से अधिक समय सक्रिय होने में लग रहा है।