माना जा रहा है कि आक्रोशित पुलिसकर्मियों की मंशा आईपीएस की तरह पुलिस यूनियन बनाने की है. सिपाहियों ने 24 सूत्रीय मांगपत्र बना कर इसकी शुरुआत भी कर दी है. सिपाही एक दूसरे को मांगपत्र भेजकर समर्थन मांग रहे हैं. इसमें उनको अच्छा रिस्पॉन्स भी मिल रहा है. वहीं अगर ये पुलिसकर्मी अपनी रणनीति में कामयाब हुए तो सरकार को 21 अक्टूबर के बाद बड़े आंदोलन का सामना करना पड़ सकता है. इससे सूबे का लॉ एंड आर्डर बिगडऩे का भी खतरा है.
काली पट्टी बांधकर विरोध करने पर हुई कार्रवाई से सचेत सिपाही अब सोशल मीडिया का सहारा लेकर मांगपत्र वायरल कर रहे हैं. फेसबुक, ट्विटर और वाट्सऐप के जरिए मांगपत्र को पूरे प्रदेश के सिपाहियों के पास भेजा जा रहा है. अनुशासनात्मक कार्रवाई से बचने के लिए सिपाही खुद के बजाय परिजनों और दोस्तों की आईडी से मांगपत्र भेज रहे हैं. मांग पत्र में लिखा है कि 21 अक्टूबर को पुलिस शहीद दिवस मनाए जाने के बाद रणनीति उजागर की जाएगी. इसके बाद समस्या का समाधान नहीं हुआ तो निर्णायक आंदोलन होगा.
पुलिस अफसरों को सिपाहियों के इस मांगपत्र की भनक लग गई है. जिससे वे डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश कर रहे हैं. खुफिया और एलआईयू को एक्टिव कर विरोध की आग को हवा देने वाले सिपाहियों को चिह्नित करने का काम शुरू हो गया है, जिससे समय रहते इस आग पर नियंत्रण किया जा सके, ऐसी कोशिश की जा रही है. इसके लिए उन्होंने खुफिया और एलआईयू को लगाया है, लेकिन उनको अभी कोई सफलता नहीं मिल पाई है.
इन मांगों में सबसे पहली है वेतन विसंगति को दूर करना. इसके बाद आठ घंटे ड्यूटी निर्धारित करना. ओवर टाइम का पैसा और राज्यकर्मियों की तरह अवकाश देना. अवकाश के दिन ड्यूटी पर बुलाए जाने पर अतिरिक्त पैसा दिया जाना. प्रत्येक पुलिसकर्मी की आकस्मिक छुट्टी निर्धारित करना. पदोन्नति की प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना. आईपीएस की तरह समयानुसार प्रमोशन दिया जाना. इससे सिपाही भी राजपत्रित अधिकारी बन सके. विभागीय परीक्षा के जरिए प्रमोशन और पुरानी पेंशन योजना बहाल की जाए.
एनपीएस खाते को जीपीएफ में परिवर्तित किया जाए. चिकित्सा प्रतिपूर्ति इलाज के दौरान या 3 महीने के अंदर प्रदान किया जाए. टीए डीए का भुगतान अनिवार्य किया जाए, पौष्टिक आहार भत्ता 5 हजार किया जाए. साइकिल की जगह बाइक भत्ता मिले. पुलिस कर्मियों के बच्चों की पढ़ाई के लिए मॉडर्न पुलिस स्कूल की स्थापना हो. अन्य रोजगार नियुक्ति पर पुलिसकर्मी या उनके पाल्यों को विशेष आरक्षण हो. अराजपत्रित कर्मियों की ड्यूटी के दौरान मृत्यु पर परिवार के सदस्य को योग्यता के आधार पर नौकरी और आश्रित को असाधारण पेंशन अनिवार्य किया जाए. थाना स्तर पर महिला सिपाहियों को रहने के लिए आवास दिया जाए.
तकनीकी शाखा व कानून व्यवस्था एवं विवेचना का अलग अलग किया जाए. पुलिस रेगुलेशन 1851 में बदलाव किया जाए. निलंबन और बर्खास्तगी के पूर्व जांच आवंटन अनिवार्य किया जाए. आईपीएस की तरह पुलिस यूनियन या संगठन को मान्यता दी जाए.