सर्दी से अचानक बिगड़ी हालत
दो दिन धूप से राहत मिली पर अचानक बारिश और ठंडी हवाओं ने हाल-बेहाल कर दिया। मरीजों की दिक्कतें बढ़ गईं। लम्बे समय से बीमार मरीजों के लिए खतरा पैदा हो गया। हैलट में मरने वालों में इटावा के घनश्याम थे, उन्हें लिवर संबंधी बीमारी थी। किशोर कुमार निवासी नवाबगंज को गुर्दे की समस्या थी। विनोद कुमार चौरसिया को सांस की बीमारी के साथ हार्ट में समस्या थी। राम नारायण निवासी पटेल नगर को सांस की बीमारी थी, ब्रेन स्ट्रोक हो गया। कैलाश नारायण निवासी डेरापुर को भी लिवर व सांस की बीमारी थी। सुमित कुमार की एंजियोप्लास्टी हुई थी उन्हें अटैक पड़ गया। उधर, कार्डियोलॉजी में मरने वालों में दीक्षा रस्तोगी निवासी कर्नलगंज, मरियम खातून निवासी नई सडक़, बबर अली निवासी जूही और जगदीश कनौजिया निवासी तिर्वा शामिल हैं।
दो दिन धूप से राहत मिली पर अचानक बारिश और ठंडी हवाओं ने हाल-बेहाल कर दिया। मरीजों की दिक्कतें बढ़ गईं। लम्बे समय से बीमार मरीजों के लिए खतरा पैदा हो गया। हैलट में मरने वालों में इटावा के घनश्याम थे, उन्हें लिवर संबंधी बीमारी थी। किशोर कुमार निवासी नवाबगंज को गुर्दे की समस्या थी। विनोद कुमार चौरसिया को सांस की बीमारी के साथ हार्ट में समस्या थी। राम नारायण निवासी पटेल नगर को सांस की बीमारी थी, ब्रेन स्ट्रोक हो गया। कैलाश नारायण निवासी डेरापुर को भी लिवर व सांस की बीमारी थी। सुमित कुमार की एंजियोप्लास्टी हुई थी उन्हें अटैक पड़ गया। उधर, कार्डियोलॉजी में मरने वालों में दीक्षा रस्तोगी निवासी कर्नलगंज, मरियम खातून निवासी नई सडक़, बबर अली निवासी जूही और जगदीश कनौजिया निवासी तिर्वा शामिल हैं।
बच्चों की दुश्वारी भी बढ़ी
सर्दी के चलते बच्चों में सांस की दुश्वारियां कम नहीं हो रही हैं। निमोनिया और फेफड़े की जटिल बीमारियों से पीडि़त बच्चे भी ओपीडी में आए। डॉ. के मुताबिक सांस सम्बंधी दिक्कतों को पहचानना जरूरी है। अगर बच्चे को तेज और लगातार खासी आती रहे, पसली चलने लगे तो फौरन विशेषज्ञ डॉक्टरों को दिखाएं। अपने मन से एंटीएलर्जिक और एंटीबायोटिक नहीं दें। उन मरीजों की संख्या अधिक मिल रही है जो पहले से ही बगैर डॉक्टरों की सलाह के केमिस्ट की दी हुई दवा बच्चों को खिलाकर लाते हैं। इससे बीमारी बिगडऩे का खतरा है।
सर्दी के चलते बच्चों में सांस की दुश्वारियां कम नहीं हो रही हैं। निमोनिया और फेफड़े की जटिल बीमारियों से पीडि़त बच्चे भी ओपीडी में आए। डॉ. के मुताबिक सांस सम्बंधी दिक्कतों को पहचानना जरूरी है। अगर बच्चे को तेज और लगातार खासी आती रहे, पसली चलने लगे तो फौरन विशेषज्ञ डॉक्टरों को दिखाएं। अपने मन से एंटीएलर्जिक और एंटीबायोटिक नहीं दें। उन मरीजों की संख्या अधिक मिल रही है जो पहले से ही बगैर डॉक्टरों की सलाह के केमिस्ट की दी हुई दवा बच्चों को खिलाकर लाते हैं। इससे बीमारी बिगडऩे का खतरा है।
डायबिटीज रोगी रहें सावधान
डॉक्टरों का कहना है कि डायबिटीज रोगियों को कार्डियक अटैक खामोशी से आता है इसलिए उन्हें दर्द या पसीना की शिकायत नहीं होती है। ईसीजी व अन्य जांचों में हार्टअटैक का पता चल पाता है। चेस्ट अस्पताल के साथ हैलट के मेडिसिन विभाग में एक दर्जन मरीज सीओपीडी के भर्ती कराए गए हैं। हैलट के डॉक्टर जेएस कुशवाहा के मुताबिक सर्दी से बचाव ही बेहतर उपाय है।
डॉक्टरों का कहना है कि डायबिटीज रोगियों को कार्डियक अटैक खामोशी से आता है इसलिए उन्हें दर्द या पसीना की शिकायत नहीं होती है। ईसीजी व अन्य जांचों में हार्टअटैक का पता चल पाता है। चेस्ट अस्पताल के साथ हैलट के मेडिसिन विभाग में एक दर्जन मरीज सीओपीडी के भर्ती कराए गए हैं। हैलट के डॉक्टर जेएस कुशवाहा के मुताबिक सर्दी से बचाव ही बेहतर उपाय है।