3 वहजों से पानी-पानी
सीएसए के मौसम वैज्ञानिक डाॅक्टर नौशाद खान ने सितंबर महीने में तेज बारिश के पीछे तीन वजहें बताई हैं। पहली, पैसिफिक ओसन के ऊपर बना अल नीनो का इफेक्ट। जिसने मानसून को दबाया और जुलाई में कम बारिश हुई. ठीक उसी वक्त इंडियन ओशन में मानसून के अनुकूल वातावरण तैयार हुआ। वहीं तीसरा फैक्टर, बंगाल की खाड़ी में बना कम दबाब का क्षेत्र। इसके लगातार बनने की वजह से लंबे वक्त तक भारी बारिश होती है, जो हमने सितंबर महीने में देखी।
ऐसा रहा मौसम का मिजाज
चन्द्र शेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय के मौसम विभाग के मुताबिक 7 अक्टूबर को अधिकतम तापमान 32.4 डिग्री से और न्यूनतम तापमान 22.4डिग्री से था। जबकि आर्दृता 80.48 प्रतिशत रही। मौसम विभाग के मुताबिक हवा की गति 2.6 किमी प्रतिघंटा के तहत चलीं। उत्तर पश्चिम मौसम पूर्वानुमान के अनुसार, इस सप्ताह आसमान में छुटपुट बादल होने के आसार हैं। प्रदेश में कहीं हल्की तो कहीं भारी बारिश हो सकती है। मौसम विभाग की मानें तो 9 अक्टूबर को फिर से आसमान में बादल छा सकते हैं।
इस वजह से बारिश की संभावना
5 अक्टूबर तक कानपुर में बारिश का सिलसिला जारी रहने से तापमान में गिरावट रही, लेकिन जैसे ही आसमान से बादल छटे, वैसे ही गर्मी ने दस्तक दे दी। जिसके कारण पंड पड़े कूलर व पंखे फिर से चलने लगे। सीएसए के मौसम विभाग के मुताबिक तापमान में बढ़ोतरी के कारण बारिश होने की संभावना है। इस बार मॉनसून की बारिश 11 वर्षों का रिकार्ड तोड़ चुकी है। इस बार शहर में 745.4 के सापेक्ष 850 मिमी बारिश हो चुकी है। मौसम वैज्ञानिक डाॅक्टर नौशाद खान के मुताबिक 27 सितंबर को 90 मिमी बारिश रिकॉर्ड की गई है। इस सीजन में एक दिन में इतनी बारिश भी पहली बार हुई है।
बरसात किसानों के लिए फायदेमंद
डाॅक्टर शान बताते हैं कि जून-सितंबर के दौरान हुई बरसात किसानों के लिए फायदेमंद है। ज्यादा बरसात से किसानों को सर्दी में बोए जाने वाली फसलों का रकबा बढ़ाने में मदद मिलेगी। गेहूं, सरसों और चने की खेती के लिए बरसात बहुत लाभकारी है। इससे पैदावार बढ़ेगी। पैदावार बढ़ने से किसानों के हाथों में ज्यादा पैसे आएंगे। किसान खुशहाल होंगे तो ग्रामीण क्षेत्रों में मांग बढ़ेगी और ग्रामीण क्षेत्र में मांग बढ़ेगी तो देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। अर्थव्यवस्था की चाल बहुत हद तक ग्रामीण क्षेत्र की मांग पर निर्भर करती है।
बारिश के आंकड़े
मौसम विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो 2008 से 2017 तक 00 मिमी 2018 को 5.2 मिमी, 2019 सितंबर में 90 मिमी बारिश रिकार्ड की गई। जबकि 11 सितंबर 2009 को 160 मिमी, 3 सितंबर 2010 को 82 मिमी, 15 सितंबर 2012 को 54.4 मिमी, 6 सितंबर 2018 को 103 मिमी बारिश हुई। सीएसए के रिटायर्ड मौसम वैज्ञानिक डाॅक्टर अनुरूद्ध दुबे बताते हैं 1994 के बाद इस बार देशभर में मानसून सामान्य से 110 फीसद बरसा है, जो एक रिकार्ड है। बताते हैं, वर्ष 2019 के सितंबर माह में लांग पीरियड एवरेज (एलपीए) बारिश 165 फीसद रही, जबकि 1917 में यह 152 फीसद दर्ज किया गया था।