चल रहीं बर्फीली हवाएं
पिछले सप्ताह अचानक ठंड बढ़ी और पारा लुड़कर 8.6 डिग्री पहुंच गया। बुधवार और गुरूवार की इस सीजन की सबसे ठंडी रात थी। वहीं इस बुधवार को को न्यूनतम पारा 8..8 डिग्री सेल्सियस रिकॉर्ड किया गया। न्यूनतम तापमान में लगातार कमी की वजह उत्तर-पूर्वी क्षेत्रों के पर्वतीय इलाकों में लगातार हो रही बर्फबारी है। यहां से उठने वाली बर्फीली हवाओं की वजह से कानपुर, लखनऊ, प्रयागराज, वाराणसी सहित आसपास के क्षेत्रों में ठंड का असर बढ़ना शुरू हो गया है।
हो सकती है बारिश
गुरूवार की सुबह से आसमान में काले-काले बादल मंडरा रहे हैं, जिससे 13 व 14 दिसंबर को कहीं तेज तो कहीं हल्की बारिश का अनुमान है। सीएसए के मौसम वैज्ञानिक डाॅक्टर नौशाद खान के मुताबिक उत्तर पूर्वी हवाएं चलने से पश्चिमी विक्षोभ का असर प्रदेश के मध्य क्षेत्र में सक्रिय हुआ है। इसकी वजह से बारिश की संभावना है। बारिश के बाद ठंड और बढ़ सकती है। इसके अलावा स्माॅग से कुछ हद तक लोगों को राहत मिल सकती है।
क्यों कम हुई सर्दी जानें
सीएसए के रिटायर्ड मौसम वैज्ञानिक अनुरूद्ध दुबे बताते हैं कि एक दशक पहले अक्टूबर में सर्दी पड़ने लगती थी। लेकिन अब नवबंर में लोग रजाई निकालते हैं। कहते हैं, फरवरी तक पडने वाली सर्दी जनवरी के मध्य तक सिमट कर रह गई है। इसकी वजह ग्लोबल वार्मिंग है। कार्बन डाईऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन व सल्फर डाईऑक्साइड जैसी ग्रीन हाउस गैसों की अधिकता का असर मौसम चक्र पर पड़ रहा है। इससे मौसम का चक्र पूरी तरह बिगड़ता जा रहा है। डाॅक्टर दुबे कहते हैं कि मौसम के इस बदलाव के पीछे इंसा नही दोषी हैं। जंगल कम होते जा रहे हैं और गांव शहरों में बदल रहे हैं। यदि अभी नहीं चेते तो हालात और खराब होंगे। इससे सबसे ज्यादा किसान प्रभावित होंगे।
दिख रहा बदलाव
सीएसए के मौसम वैज्ञानिक डॉक्टर नौशाद खान ने बताया कि शहर में भी मौसम चक्र का बदलाव दिख रहा है। लगातार धुंध व बदली की स्थिति रहने के कारण कई दिनों तक जमीन का तापमान ऊपर नहीं पहुंच पाता है जिससे नीचे का तापमान अधिक होता रहा। अधिकतम तापमान के आंकड़े इसका संकेत दे रहे हैं। दिसंबर माह में पहले अधिकतम तापमान दस से 15 डिग्री सेल्सियस के करीब पहुंच जाता था, अब यह 25 डिग्री के आसपास है। डाॅक्टर खान भी इसके पीछे जलवायू परिवर्तन को मान रहे हैं।