यूपी के इस शहर में दो घंटे पहले ही ‘सूर्य अस्त’
एकाएक छा गया अधेरा और तेज आंधी के साथ हुई झमाझम बारिश, सीएसए के मौसम विभाग ने जारी किया अलर्ट, 11 से लेकर 14 के बीच मौसम ढाएगा कहर।

कानपुर। बंगाल की खाड़ी और इससे सटे दक्षिणी अंडमान सागर पर बना निम्न दबाव का क्षेत्र कमजोर होते हुए चक्रवाती हवाओं के क्षेत्र में तब्दील हो गया। जिसके कारण रविवार की शाम करीब पौने पांच बजे एकाएक अंधेरा छा गया। तेज आंधी और आकाशीय बिजली के गड़गड़ाहट के बाद झमाझम बारिश ने जनजीवन अस्त-व्यस्त कर दिया। कच्चे मकान ढह गए तो झोपड़ियां उड़ गई। करीब दो घंटे तक मौसम इसी तरह से कहर ढाता रहा और सूर्य के दर्शन सोमवार की सुबह ही हुए।
तेज आंधी और बारिश
रविवार की सुबह दूर-दूर तक बादल नजर नहीं आ रहे थे। आसमान पूरी तरह से ख्ुाला हुआ था। अघिकतम तापमान भी 37 डिग्री सेल्सियस के आसपास था। शाम पौने पांच बजे एकाएक अंधेरा छा गया और 20 से 25 किमी प्रतिघंटे की रफ्तार से हवाएं चलने लगी और तेज बारिश ने शहर से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों को झंकझोर दिया। कच्चे मकान ढह गए तो पेड़ जमीदोज हो गए। पोल गिरने से बिजली व्यवस्था चरमरा गई। सीएसए के मौसम वैज्ञानिक डाॅक्टर नौशाद खान ने बताया कि 11 मई से लेकर 14 मई तक फिलहाल मौसम इसी तरह से रहेगा। 10 मई को अधिकतम तापमान 36.6 (-3.5) डिग्री सेल्सियस रहा। बतादें ये तापमान शाम पांच बजे से पहले का है।
इस वजह से मौसम का कहर
मौसम वैज्ञानिक डाॅक्टर नौशाद खान के मुताबिक दक्षिण-पश्चिमी बंगाल की खाड़ी पर एक नया चक्रवाती सिस्टम बनेगा। यह सिस्टम पहले से बने चक्रवाती क्षेत्र के साथ मिल जाएगा। दोनों सिस्टमों की हवाएं जब आपस में मिल जाएंगी तब एक प्रभावी सिस्टम के विकसित होने की संभावना है। डाॅक्टर खान बताते हैं, अनुमान है कि 11 मई तक प्रभावी सिस्टम बन जाएगा। उसके बाद यह सिस्टम और सशक्त होगा। हालांकि इसके प्रभावी होने की प्रक्रिया और इसके ट्रैक को लेकर अलग-अलग वेदर मॉडल्स के सिगनल्स भी अलग-अलग मिल रहे हैं। इसलिए अगले 3-4 दिनों तक इस पर नजर रखी जा रही है। 11-12 मई के बाद ही इसके बारे में कुछ स्पष्ट हो पाएगा।
पहला तूफान होगा
डाॅक्टर खान के मुताबिक, फिलहाल जो सिस्टम बना हुआ है उसकी क्षमता निम्न दबाव की है और आने वाले तीन-चार दिनों तक यह इसी क्षमता में बना रहेगा और यह अपनी जगह भी नहीं बदलेगा। लेकिन यह सिस्टम जब चक्रवाती तूफान बनेगा उसके बाद यह किस दिशा में जाएगा और किस क्षमता में लैंड फॉल करेगा इसको लेकर अभी भी संशय है। अगर यह तूफान बनता है तो भारत के तटों के पास साल 2020 का पहला तूफान होगा। इसे अंफन नाम दिया जाएगा।
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