कानपुर के चमड़ा उद्योग की बंदी की बड़ी वजह गंगा हैं। क्योंकि चमड़ा उद्योग गंगा को प्रदूषित कर था। इसलिए यहां के लेदर उद्यमियों पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी),जलनिगम और गंगा की सफाई से जुड़ी विभिन्न एजेंसियों ने एक साथ हमला बोला। तरह-तरह के प्रतिबंध लगाए। नियम-कानून बनाए। इससे टेनरियों का कारोबार प्रभावित हुआ। जाजमऊ और अन्य इलाकों में लगी इकाइयों को महंगे प्रदूषण नियंत्रण प्लांट लगाने पड़े।
जाजमऊ इलाके की 400 टेनरियां हैं। इनमें से सवा सौ से अधिक पहले से ही बंद हैं। यूपी सरकार के आदेश के बाद जाजमऊ की करीब 250 टेनरियां पिछले कई महीनों से 50 फीसदी से कम क्षमता पर चलायी जा रही हैं। इसकी वजह से वह तगड़े घाटे में आ गयी हैं। बंद पड़ी इकाइयों को बिजली, सफाई मशीनों के रखरखाव आदि के लिए लगभग 10 लाख रुपये प्रति माह का अतिरिक्त खर्च उठाना पड़ रहा है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्मल गंगा के लिए 1751.63 करोड़ की परियोजनाओं का शुभारंभ किया है। इस राशि से उन्नाव, कानपुर और शुक्लागंज की व्यापक सीवरेज योजना बनायी जाएगी। कानपुर की टेनरियों के लिए कॉमन एफ्लुएंट ट्रीटमेंट प्लांट लगेंगे। पंखा और जाजमऊ में मौजूदा एसटीपी का पुर्नवास होगा। इससे गंगा साफ होंगी। जाहिर है यह सब इंतजाम इसलिए हुआ ताकि गंगा में टेनरियों का पानी उपचारित होकर जा सके। प्रधानमंत्री ने अपने भाषणों के जरिए टेनरी से जुड़े उद्योगपतियों और श्रमिकों को यह बताने की कोशिश की है कि वह उनके घावों पर मरहम लगाने आए हैं। उम्मीद है पीएम का भाषण परियोजनाओं के पूरा होने पर यकीन में बदलेगा।
-कानपुर के चमड़ा उद्योग में करीब एक लाख लोग काम करते हैं। हजारों दैनिक वेतनभोगी लंबे समय तक खाली बैठे थे। अब वे कहीं और काम कर रहे हैं। 12,000 करोड़ के निर्यात आर्डर रद्द हो गए हैं।
इफ्तिखारुल अमीन,उपाध्यक्ष,उप्र लेदर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन
-टेनरियों को कई रासायनिक प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ता है। एकाएक बंदी से कच्चा माल बेकार गया। लोहे और लकड़ी के ड्रम या तो जंग से खराब हो गए या सड़ गए। सिर्फ तीन-साढ़े तीन महीने में ही जाजमऊ की टेनरियों का ढाई हजार करोड़ प्रति महीने से ज्यादा का हुआ है।
-हफीजुर्ररहमान उर्फ बाबू भाई,चमड़ा कारोबारी