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कानपुर पुलिस ने पकड़ा फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज, NIA के हाथ लगे आतंकी कनेक्शन के सबूत

locationकानपुरPublished: Jun 23, 2018 12:12:53 pm

Submitted by:

Vinod Nigam

बाबूपुरवा स्थित एक घर में चल रहा था पर्सनल एक्सचेंट, तीन शातिरों को पुलिस ने किया गिरफ्तार, 10 फसे प्रतिमिनट की दर से करवाते थे कॉल

wires of telephone exchange are spread to terrorists in kanpur news

कानपुर में पकड़ा फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज, NIA के हाथ लगे आतंकी कनेक्शन के सबूत

कानपुर। बाबूपुरवा थानाक्षेत्र स्थित पुलिस ने एक घर पर छापा मारकर वहां चल रहे फर्जी टेलीफोन एस्जचेंट को पकड़ा। पुुलस ने गैर कानूनी कार्य करे अंजाम दे रहे तीन शातिरों को भी दबोचा। आरोपी अपने एक्सचेंज के माध्यम से इंटरनेशनल कालो को लोकल बना कर सरकार को चुना लगा रहे थे। मामले की जानकारी होने पर एनआईए और एटीएस की टीम कानपुर पहुंची और सरगना सरफराज अहमद निवासी पेंचपार्क थाना थमनगंज को अपने साथ लखनऊ लेकर चली गई हैं। सरफराज के बारे में एटीएस कई अहम सुराग हाथ लगे हैं। सूत्रों की मानें तो एनआईए-एटीएस के आतंकी कनेक्शन के बारे में जानकारी मिली है। फर्जी टेलीफोल एस्सजेंव शाहनवाज के घर से पकड़ा है। शाहनवाज अपने घर में कई मशीनों को लगाकर यह एक्सचेंज चला रहा था। पुलिस ने यहां से शाहनवाज के दो साथियो सरफराज और नायब को भी गिरफ्तार किया है। शाहनवाज के पिता डिफेन्स की पैरासूट फैक्ट्री में कर्मचारी है। ,पुलिस का कहना है ये गैंग दिल्ली नोयडा के किसी मास्टर माइंड के द्वारा संचालित किया जा रहा था। गैंग खाड़ी देशो में रहनेवालो की कालो को लोकल काल में बदल देता था ।
बाबूपुरवा चल रहा था खेल
बाबूपुरव थानाक्षेत्र स्थित पुलिस ने एक घर पर रेड मारकर वहां फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज के साथ तीन आरोपियों को पकड़ा। आरोपी इस एक्जचेंज के जरिए इंटरनेशलन कॉलों को लोकल में बद कर लाखों रूपए की हर माह कमाई करते थे। इंटरनेट कॉल को वॉयस कॉल में बदलने के लिए वॉयस ओवर इंटरनेट प्रोटोकॉल (वीओआइपी) का इस्तेमाल होता है। बाबूपुरवा में पकड़ा गया फर्जी एक्सचेंज विदेश से आनेवाली कॉल के लिए गेटवे का काम करता था। बाहर से आने वाली कॉल भारत में रिसीवर तक तक इस एक्सचेंज के जरिए पहुंचाई जाती थी। यह प्रणाली इंटरकनेक्टिंग इंटरनेट मोबाइल कनेक्शन पर आधारित है। इसके लिए उपभोक्ता को इंटरनेट कॉलिंग का अप्लीकेशन डाउनलोड करना होता है।
इस अप्लीकेशन को जोड़े थे
बाबूपुरवा में शातिर ग अपने उपभोक्ताओं को टीपी स्मार्ट अप्लीकेशन के जरिए जोड़े थे। अधिकतर कॉल सेंटर इसी तरह की कार्यप्रणाली का प्रयोग करते हैं। दिल्ली के एक शख्स ने कॉल टर्मिनेटर मशीनें मुहैया कराई थीं। एक मशीन में 64 सिम लगते हैं। एक्सचेंज संचालक प्रति मिनट एक कॉल पर 15 पैसे मिलते थे। महीने के हिसाब से कमाई लाखों रुपये में होती है। एंड्रायड मोबाइल एप टीपी स्मार्ट को चलाने वाली कंपनी भी आइबी के निशाने पर है। भारतीय टेलीकॉम कानून में यह प्रणाली अवैध मानी जाती है। टीपी स्मार्ट अप्लीकेशन के माध्यम से समानांतर टेलीफोन एक्सचेंज चलाने वाली कंपनी डीलरों को सीधे दस प्रतिशत प्रति कॉल के हिसाब से कमीशन सीधे खाते में भेज देती है। एसएसपी ने बताया कि इनके बारे में जानकारी की जा रही है। साथ ही पूछताछ के दौरान गैंग के अन्य सदस्यों के बारे में जानकारी मिली है। पुलिस उन्हें जल्द से जल्द गिरफ्तार कर लेगी।
पुलिस कर रही जांच
एसएसपी ने बताया कि गैंग के बारे में इंटलीजेंस इनपुट मिला था यह एकसचेंज बनाकर इटरनेशनल कालो को लोकल बना देते थे। इस गैंग के तीन सदस्य को पकड़ा गया है। इनके देश विरोधी तत्वों से मिले होने से इंकार नहीं किया जा सकता। एसएसपी के मुताबिक मोबाइल एप टीपी स्मार्ट को विदेश में बैठा कॉलर अपने मोबाइल पर लोड करता था। इसकी जानकारी एप से जुड़े एक्सचेंज को मैसेज से भेज दी जाती है। इसके बाद विदेश से फोन करने वाले की कॉल वीओआइपी मशीन (कॉल टर्मिनेटर) पर आती है और इस मशीन में लगे दर्जनों सिमों के जरिए लोकल कॉल में कनवर्ट होकर अप्लीकेशन से जुड़े उपभोक्ता के नंबर पर चली जाती है। यह इंटरनेशनल कॉल सिर्फ कानपुर के रिसीवर के पास ही नहीं बल्कि देश में कहीं भी बैठे रिसीवर के पास ट्रांसफर हो जाती है।
8 से 10 पैसे में करावाते थे बात
इंटरनेशनल कॉल की वास्तविक लागत 8 से 16 रुपये प्रति मिनट है। जबकि समानांतर टेलीफोन एक्सचेंज से 20 से 70 पैसे में ही बातचीत कराई जा रही थी। पकड़े गए आरोपियों ने रिश्तेदारों के नाम से विभिन्न कंपनियों के 238 सिम जारी कराए थे, जिसके जरिए गिरोह का धंधा चल रहा था। पुलिस ने आरोपियों के पास से तीन कॉल टर्मिनेटर मशीन (वीओआईपी), 238 सिम, एक राउटर, एक सीपी डिवाइस, एक लैन ऐक्टेशन बॉक्स, चार चार्जर डिवाइस, एक स्पीकर, एक डॉटा केबिल समेत कई इलेक्ट्रॉनिक्स डिवाइस। एसएसपी ने बताया कि सरफराज के बारे में कई अहम सुराग हाथ लगे हैं। ,खाड़ी देशों के अलावा आरोपी पाकिस्तान के लोगों के संपर्क में था।
आतंकी कनेक्शन की निकल कर आ रही बात
बाबूपुरवा में पकड़े गए टेलीफोन एक्सचेंज में आतंकी गतिविधियों के संचालन के केंद्र खाड़ी देशों के साथ ही पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल जैसे देशों से भी फोन आने की बात पता चली है। पुलिस के मुताबिक जांच एजेंसियां इन कॉल का डाटा खंगाल रही है। खुफिया सूत्रों के अनुसार पकड़े गए लोगों से पूछताछ में सामने आया कि इंटरनेट पर चल रहे फर्जी टेलीफोन एक्सचेंज के लिए मशीनें दिल्ली से उपलब्ध कराई गई थीं। यह गिरोह पूरे देश में सक्रिय है, जिसके सदस्य टीपी स्मार्ट एप के जरिए जुड़े हैं। इस एक्सचेंज की कॉल को ट्रेस करना भी काफी मुश्किल है, क्योंकि कॉल इंटरनेट डाटा से एक्सचेंज में लोकल सिमों में बाउंस होकर आती थीं।
पहले भी पकड़े जा चुके हैं ऐसे एक्सचेंज
एटीएस ने वर्ष 2016 और 2017 में लखनऊ, हरदोई, सीतापुर, शाहजहांपुर समेत कई जिलों से इसी तरह के एक्सचेंज को पकड़ा था। इनमें वीआइओपी टै्रफिक को कॉल टर्मिनेटर मशीन के जरिए लोकल कॉल में कनवर्ट किया जा रहा था। एटीएस को इसमें पाकिस्तान, यूएई, बांग्लादेश, नेपाल से आने वाली कॉल कश्मीर घाटी में रिसीवर को ट्रांसफर होने की बात भी पता चली थी। एसटीएफ ने इंजीनियोरग इंट्रेस की कोचिंग पढ़ाने वाले एक टीचर समेत 17 लोगों को गिरफ्तार किया था। बाबूपुरवा थाने में तीनों आरोपितों के खिलाफ आइटी एक्ट, धोखाधड़ी और टेलीग्राफ एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया है। फर्जी सिम बीए छात्र सरफराज मुहैया और नायब मुहैया कराते थे। सरफराज सोमदत्त प्लाजा में मोबाइल शॉप में भी काम कर चुका है। इनका आपराधिक इतिहास पता किया जा रहा है।

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