नौबस्ता के अर्रा अष्टभुजी मंदिर के पास रहने वाली आशा पटेल के पति सुशील पटेल और बड़ा बेटा अक्षय गुजरात में काम करते हैं और लॉकडाउन के कारण वहीं पर फंसे हुए हैं। घर पर आशा अपनी १९ वर्षीय बेटी शालू और १४ साल के बेटे प्रिंस के साथ रहती हैं। शालू इलाके के ही एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षिका थी। रात को खाना खाने के बाद शालू अपनी मां और भाई के साथ घर की दूसरी मंजिल की छत पर सो रही थीं। छत पर बाउंड्रीवाल नहीं है और शालू किनारे की तरफ सो रही थी।
रात को तीनों के सोने के बाद सुबह जब डोर बेज बजी तब जाकर मां और बेटे की नींद टूटी। तब पता चला कि बेटी शालू बगल के खाली प्लाट में पड़ी कराह रही है। सुबह टहलने निकले लोगों ने आशा को बताया कि उसकी बेटी घायल हालत में बगल के प्लाट में पड़ी थी। लोगों ने संभावना जताई कि रात को सोते समय शालू छत से नीचे आ गिरी और ज्यादा चोट आने के कारण उठ नहीं पायी। नींद में मां और बेटे को उसके गिरने का एहसास नहीं हुआ।
घायल युवती को अस्पताल पहुंचाने के लिए पहले एंबुलेंस को फोन किया गया। देर तक जब एंबुलेंस नहीं पहुंची तो परिवार और आसपास के लोग आननफानन ई-रिक्शा से पास के निजी हॉस्पिटल ले गए, जहां के डॉक्टरों ने देखते ही हैलट रेफर कर दिया। हैलट पहुंचने से पहले युवती की मौत हो गई। परिवार और आसपास के लोगों का आरोप है कि एंबुलेंस के लिए फोन किया गया था। आरोप है कि करीब आधे घंटे तक एंबुलेंस वाला जानबूझकर रास्ता न समझ पाने का बहाना करता रहा और मौके पर नहीं आया। इस पर ई-रिक्शा से हॉस्पिटल ले जाया गया।