कानपुर

Budhwa Mangal 2019 : शैल अवस्थी तोड़ दिया वर्षों पुराना ये मिथक, ब्रह्मचारी हनुमान मंदिर की चुनी गई महंत

शिक्षाविद कमलाशंकर ने शैल अवस्थी को महंत की दी थी पदवी, 13 साल से हनुमान मंदिर की कर रही देखभाल और पूजा-पाठ।

कानपुरSep 10, 2019 / 12:44 am

Vinod Nigam

Budhwa Mangal 2019 : शैल अवस्थी तोड़ दिया वर्षों पुराना ये मिथक, ब्रह्मचारी हनुमान मंदिर की चुनी गई महंत

कानपुर। उन्नाव-कानपुर बार्ड पर स्थित शुक्लागंज से कुछ किमी पर बीघापुर औसिया गांव में ब्रह्मचारी हनुमान मंदिर है। यहां पर मंदिर की महंत एक महिला चुनी हैं, जो बजरगबंली की सुबह बकाएदा पूजा-पाठ करती हैं और शाम की आरती के बाद कपाट बंद करती हैं। महिला महंत ने कहा हनुमानजी अपने भक्तों के साथ भेदभाव नहीं करते। इनके दर पर जो भी आता है उसकी मनोकमाना पूरी होती हैं। बुढ़वा मंगल को लेकर महंत सोमवार की देररात तक भक्तों को दर्शन में कोई दिक्कत न आए इसके लिए जुटी रहीं।

सेवा में ही सुख
महिला महंत शैल अवस्थी कहती हैं कि भगवान श्रीराम के भक्त बजरंगबली की सेवा में ही सुख है। मिथक तोडऩे के साथ ही पूजन का मौका मिला तो पुजारी बन गईं। परिवार तरक्की कर रहा है। बेटा चालक था जो अब वाहन का मालिक बन चुका है। कभी किसी तरह का कोई संकट नहीं आया। शैल ने बताया कि हनुमानजी महिला और पुरूष भक्तों की हर मन्नत पूरी करते हैं। महिलाओं को रामभक्त के दर पर ज्यादा से ज्यादा संख्या में जाना चाहिए।

मिथक को तोड़ा
कहा जाता है कि महिलाएं बाल ब्रह्मचारी हनुमान जी की मूर्ति का स्पर्श नहीं कर सकतीं, आम तौर पर यह धारणा है। ऐसा होता भी है लेकिन महिला पुजारी शैल अवस्थी ने इस मिथक को नहीं मानती। उन्हें मंदिर की तरफ से महंत बनाया गया और वह हनुमान जी की 24 घंटे सेवा करती हैं। शैल बताती हैं कि जिस दिन से हमनें अपने आपको अपने प्रभु बजरंगबली के लिए समर्पित कर दिया। तब से घर में तरक्की और खुशहाली आ गई। शैल कहती हैं कि महिलाएं ब्रह्मचारी हनुमान जी के दर पर आक पूजन करें।

13 साल पहले बनाई गई महंत
शैल अवस्थी को 13 वर्ष पहले पवन तनय मंदिर का महंत बनाया गया था। तब से वही मंदिर की देखरेख व पूजा-पाठ करती हैं। सुबह, दोपहर और शयन आरती कर वह वेद मंत्रोच्चार के साथ विधिवत पूजन करती हैं। यहां हनुमान जी की पांच फुट ऊंची प्रतिमा ध्यान मुद्रा में प्रतिष्ठित है। ज्येष्ठ माह के बड़े मंगल और हनुमान जयंती के दिन यहां विशेष पूजा होती है। यहां आने वाले भक्तों की मनोकामना पूरी होने की भई मान्यता है। मंदिर की स्थापना संत मोरारी बापू की प्रेरणा से की गई थी।

शिक्षाविद्ध के चलते मिला पद
हनुमान मंदिर में महिला पुजारी पूजा नहीं कर सकती। इस रूढ़ि को खत्म करने के लिए शिक्षाविद कमलाशंकर ने महिला पुजारी रखने का निर्णय लिया। मंदिर संस्थापक के पुत्र नीरज बताते हैं कि धार्मिक मान्यताओं के चलते तमाम महिलाओं ने पुजारी बनने से इन्कार कर दिया। शैल ने प्रस्ताव स्वीकारा और हनुमानजी की सेवा में जुट गईं। बताते हैं, 2003 में इसी स्थान पर मानस मर्मज्ञ मोरारी बापू ने नौ दिन तक कथा सुनाई थी। जहां व्यास पीठ बनी थी वहीं 3 वर्ष बाद पवन तनय मंदिर की स्थापना हुई। इस कथा का आयोजन शिक्षाविद पंडित कमला शंकर अवस्थी ने कराया था।

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