माहौल बदलने की जरूरत
एसोसिएशन ऑफ साइकियाट्रिक्स के संयोजन में आयोजित दो दिवसीय वार्षिक कांफ्रेंस में लखनऊ की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. शशि राय ने बताया कि महिलाओं को आत्महत्या की सोच से दूर रखने के लिए घर, परिवार के माहौल को दूर रखने की जरूरत है। महिलाओं में तनाव, अवसाद और बाइपोलर डिस्आर्डर समेत सभी मेंटल बीमारियों के होने की आशंका बनी रहती है।
एसोसिएशन ऑफ साइकियाट्रिक्स के संयोजन में आयोजित दो दिवसीय वार्षिक कांफ्रेंस में लखनऊ की मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. शशि राय ने बताया कि महिलाओं को आत्महत्या की सोच से दूर रखने के लिए घर, परिवार के माहौल को दूर रखने की जरूरत है। महिलाओं में तनाव, अवसाद और बाइपोलर डिस्आर्डर समेत सभी मेंटल बीमारियों के होने की आशंका बनी रहती है।
सकारात्मक सोच हो विकसित
डॉ. राय के मुताबिक महिलाओं में पॉजिटिव मेंटल हेल्थ की जरूरत है। उन्होंने बताया कि महिलाओं में हॉरमोन के बदलाव से ज्यादा सामाजिक व्यवहार का ज्यादा असर पड़ता है। सामाजिक भेदभाव उन्हें ज्यादा परेशान करता है। बचपन से ही जिन महिलाओं में बेटा-बेटी में फर्क की सोच बैठ जाती है, उनमें नकारात्मकता जल्दी घर कर जाती है।
डॉ. राय के मुताबिक महिलाओं में पॉजिटिव मेंटल हेल्थ की जरूरत है। उन्होंने बताया कि महिलाओं में हॉरमोन के बदलाव से ज्यादा सामाजिक व्यवहार का ज्यादा असर पड़ता है। सामाजिक भेदभाव उन्हें ज्यादा परेशान करता है। बचपन से ही जिन महिलाओं में बेटा-बेटी में फर्क की सोच बैठ जाती है, उनमें नकारात्मकता जल्दी घर कर जाती है।
म्यूजिक थेरेपी से मिलती राहत
झांसी मेडिकल कॉलेज के डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार का कहना है कि महिलाओं में यह एक विशेष प्रकार का मनोरोग ही है, जिसे म्यूजिक थेरेपी से भी कम किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि म्यूजिक थेरेपी से तनाव और अवसाद को दूर करने में मदद मिलती है। दवाओं के साथ यह थेरेपी देने से जल्दी राहत मिलती है।
झांसी मेडिकल कॉलेज के डॉ. ज्ञानेंद्र कुमार का कहना है कि महिलाओं में यह एक विशेष प्रकार का मनोरोग ही है, जिसे म्यूजिक थेरेपी से भी कम किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि रिसर्च में यह बात साबित हो चुकी है कि म्यूजिक थेरेपी से तनाव और अवसाद को दूर करने में मदद मिलती है। दवाओं के साथ यह थेरेपी देने से जल्दी राहत मिलती है।
भेदभाव की सोच करें दूर
महिलाओं को भेदभाव की सोच से बाहर निकालकर उन्हें आत्महत्या की ओर प्रेरित होने से रोका जा सकता है। इसमें सबसे बड़ा रोल परिवार का है। शादी से पहले माता-पिता और शादी के बाद पति की भूमिका सबसे अहम होती है। इन लोगों का साथ महिलाओं में नकारात्मकता विकसित नहीं होने देता है। घर-परिवार के अन्य सदस्यों का सहयोग भी मददगार साबित हो सकता है।
महिलाओं को भेदभाव की सोच से बाहर निकालकर उन्हें आत्महत्या की ओर प्रेरित होने से रोका जा सकता है। इसमें सबसे बड़ा रोल परिवार का है। शादी से पहले माता-पिता और शादी के बाद पति की भूमिका सबसे अहम होती है। इन लोगों का साथ महिलाओं में नकारात्मकता विकसित नहीं होने देता है। घर-परिवार के अन्य सदस्यों का सहयोग भी मददगार साबित हो सकता है।